आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है जो इस वर्ष 16 जुलाई को है। सूर्योदय से प्रारम्भ होकर पूर्णिमा तिथि है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। यही कारण है कि महर्षि वेद व्यास को समर्पित करते हुए गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है। इनके पिता मर्हषि पाराभार तथा माता सत्यवती थीं। मर्हषि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी।


कौन-कौन है गुरुगुरु पूर्णिमा के पर्व पर पवित्र सरोवर गंगा स्नान के लिए भक्त पहुंचेगे। ग्रामीण भी दूर दराज से गुरु शिष्य की परंपरा निभाने आते हैं। माता-पिता सर्वप्रथम गुरु माने गए हैं।वह व्यक्ति जो आपका सही मार्ग दर्शन करे, जिस व्यक्ति ने आप को रोजगार या नौकरी प्रदान की कराई हो। ज्ञान देने वाला भिक्षक भी गुरु है, धार्मिक, सदाचारी और परोपकारी व्यक्ति भी गुरु है। इस दिन अनेक सनातन धर्मी चने की दाल का पराठा और आम खाने व दान करने की प्रक्रिया करते हैं।इस दिन गुरु की चरणपादुका का स्पर्श करें। साथ ही व्यास की भी पूजा करें। आम, तिल, चावल, सफेद वस्त्र और विशेष तरह के पेय पदार्थ दान करें।गुरु पूर्णिमा 2019 : गुरु के साथ करें मां की भी पूजा, जानें इसका महत्वभक्तों में गुरु की महिमा
जिस प्रकार से घर कलभ और कुम्भ में तीनों एकार्थक है। उसी प्रकार देवता मंत्र और गुरु ये तीनों भी एकार्थक हैं। इसलिए गुरु अथवा शिक्षक ही सर्वोत्तम है। शुद्ध वस्त्र धारण करके ही पूजा करनी चाहिए। गुरु के साथ जाएं और ऊंचे आसन पर उन्हें बिठाएं। पुष्पमाला पहनाएं और उनका आशीर्वाद लें।पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma