सरकार के उच्च स्तर पर हस्तक्षेप करने पर पेट्रोल पंपों पर क्रेडिट व डेबिट कार्ड इस्तेमाल पर शुल्क लेने का मामला अभी भले ही सुलझ गया है लेकिन इसका स्थाई समाधान अभी नहीं निकल पाया है। अभी पेट्रोल पंपों पर डेबिट और क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल पर कोई अतिरिक्त शुल्क किसी से भी नहीं लिया जाएगा।

ज्यादा दिन तक नहीं मिलेगी राहत
वित्त मंत्रालय ने इस मामले के समाधान के लिए एक समिति भी बना दी है। हालांकि बैंकों ने साफ कर दिया है कि वे ज्यादा दिनों तक पेट्रोल पंपों पर कार्ड इस्तेमाल को शुल्कों से राहत देने के पक्ष में नहीं है। बैंकों को इस शुल्क से फिलहाल 1700 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व मिलने की उम्मीद है जिसे वह किसी कीमत पर गंवाना नहीं चाहते। हालांकि पेट्रोल पंप मालिकों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे आगे भी शुल्क का कोई भी हिस्सा उठाने को तैयार नहीं है।

एमडीआर शुल्क हटा लिया गया

पेट्रोल पंपों पर कार्ड इस्तेमाल पर लगाये गये शुल्क के मामले पर सोमवार को पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। बाद में प्रधान ने बताया कि रिजर्व बैंक के आदेश के बाद पेट्रोल पंपों पर कार्ड से भुगतान पर लगने वाला एमडीआर शुल्क हटा दिया गया है। लेकिन हमें इस बात का फैसला करना है कि शुल्क को कौन वहन करेगा। बैंक, तेल कंपनियां या पेट्रोल पंप मालिक। इस मामले में शामिल सभी पक्षों से विचार विमर्श के बाद एक सर्वमान्य हल निकाला जाएगा। लेकिन सरकार की कोशिश है कि ग्राहकों पर इसका कोई बोझ नहीं पड़े। एमडीआर शुल्क ग्राहकों से नहीं वसूला जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि 13 जनवरी, 2017 के बाद भी पेट्रोल पंपों पर कार्ड इस्तेमाल में कोई परेशानी नहीं होगी।
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शुल्क लगाने पर अड़े

पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है दरअसल, कार्ड जारी करने वाले बैंकों को अब यह लग गया है कि पेट्रोल पंप पर कार्ड इस्तेमाल उनकी कमाई का अहम जरिया बनेंगे। यही वजह है कि नोटबंदी के पहले तक कई बैंक पेट्रोल पंपों पर अपने डेबिट व क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एमडीआर शुल्क से राहत देते थे। लेकिन अब उन्हें यह आभास हो गया है कि इन कार्डो का इस्तेमाल अब बहुत होगा और इसलिए वे शुल्क लगाने पर अड़ गये हैं।
बैंको को चाहिए मुनाफा
पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के पहले तक पेट्रोल पंपों पर विभिन्न तरह के कार्डो से 150 करोड़ रुपये के उत्पादों की बिक्री रोज होती थी जो अब तीन गुना बढ़ कर 480 करोड़ रुपये रोजाना हो गई है। यह कुल बिक्री का 26 फीसद है जिसके आने वाले महीनों में बढ़ कर 50 फीसद हो जाने के आसार हैं। अगर मौजूदा बिक्री का एक फीसद भी देखे तो बैंकों को शुल्क के तौर पर 1725 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari