एटीएम के बाहर सन्नाटा, गिने चुने एटीएम ही चले

- मंडियों में आवक जीरो, महंगाई बढ़ने आशंका

LUCKNOW:

राजधानी के लोगों को करेंसी की क्राइसेस होने लगी है। दिन भर के इंतजार के बाद संडे को भी राजधानी में कैश नहीं पहुंच सका। एक-एक करके दोपहर तक सारे एटीएम खाली हो गये। सरकार के आदेश के बाद भी राजधानी के पेट्रोल पंप स्वाइप कर पैसे नहीं दे रहे। जिन घरों में शादियां हैं, वहां भी बुरा हाल है। बैंकों में कैश क्राइसेस से हो हल्ला ना हो इसलिए शनिवार को बैंकों को सिर्फ सीनियर सिटीजन के ही कैश एक्सचेंज किये गये। जबकि अपने अपने खातों से पैसे निकालने आये लोगों को भी कैश नहीं दिया गया। वहीं नोट बंदी का असर मंडियों पर भी पड़ने लगा है। मंडियों में कृषि उत्पादन की आवक जीरो हो गयी है।

ATM के बाहर सन्नाटा

संडे को राजधानी के एटीएम के बाहर सन्नाटा था। लोग आते थे और एटीएम के अंदर झांककर वापस चले जा रहे थे। यह हाल राजधानी के लगभग सभी एटीएम का था। जबकि दावा किया गया था कि संडे को बैंक बंद रहेंगे, लेकिन कैश की प्रॉब्लम आम लोगों को नहीं होगी और उन्हें पैसे एटीएम से मिलते रहेंगे, जहां वह ढाई हजार रुपये तक की निकासी कर सकते हैं, लेकिन सभी एटीएम खाली पड़े थे। दावा यह भी था कि लखनऊ के कई एटीएम को कैलीब्रेट कर दिया गया है, जहां से नयी करेंसी निकल सकेगी, लेकिन किसी तरह की करेंसी किसी भी एटीएम में नहीं थी। सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मेन ब्रांच के एटीएम में करेंसी थी, जहां लंबी लाइन लगी हुई थी।

चार दिन से नहीं पहुंचा कैश

राजधानी में कैश व करेंसी क्राइसेस पिछले चार दिनों से हो रही है। बैंक अधिकारियों का दावा है कि पिछले चार दिन से लखनऊ में कैश नहीं आया है, जिसकी वजह से एटीएम और बैंक दोनों के चेस्ट खाली हैं। शुक्रवार से ही राजधानी के बैंक दस रुपये और पांच रुपये के सिक्कों की पोटली बनाकर पेमेंट कर रहे हैं। सोमवार को भी अगर कैश नहीं पहुंचता है तो बैंकों में पेमेंट को लेकर बड़ी प्राब्लम खड़ी हो सकती है।

बैंकों में हो सकती है बड़ी प्राब्लम

वित्त निदेशक शिव सिंह यादव ने शनिवार को बैंक अधिकारियों के साथ मीटिंग कर कैश क्राइसेस पर रिपोर्ट मांगी थी। बैंक अधिकारियों ने बताया था कि कैश क्राइसेस अधिक है, यही हाल रहा तो मंडे को बैंक खुलने पर लॉ एंड ऑर्डर की प्रॉब्लम हो सकती है। बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि कैश आज रात तक आने की उम्मीद है। ऐसे में कल स्थिति नॉर्मल रह सकती। कैश अगर नहीं पहुंचा तो स्थिति बिगड़ने के भी चांसेस हैं।

पेट्रोलपंप भी नहीं दे रहे कैश

वित्त मंत्रालय ने घोषणा की थी कि देश भर के 20 हजार से अधिक पेट्रोल पंप पर स्वाइप मशीन से स्वाइप कर दो हजार रुपये तक कैश लिये जा सकते हैं। लेकिन पेट्रोलपंप मालिक वित्त मंत्रालय के इस आदेश को मानने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि इस तरह का कोई आदेश उनतक नहीं पहुंचा है। अगर वह देना भी चाहें तो कहां से दें? पेट्रोल पंपों पर 500 और 1000 रुपये की पुरानी करेंसी अलाऊ की गयी है। वित्त मंत्रालय का आदेश आने के बाद अगर बैंक कैश मुहैय्या करायेंगे तो देने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

मंडी में आवक जीरो

नोट बंदी से मंडियों में सब्जियों की आवक जीरो हो गयी है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में न सिर्फ सब्जियों और जरूरी सामानों की किल्लत होगी। मंडी सचिवों, व्यापारियों और किसानों ने मंडी परिषद के डायरेक्टर राजशेखर को अपने सुझाव भेजे हैं। राजशेखर ने बताया कि नोटबंदी से पिछले साल के मुकाबले इस साल मंडियों में आवक में चालीस परसेंट की कमी दर्ज हो चुकी है। मंडी का कारोबार 40 परसेंट कैश और 60 परसेंट चेक पर आधारित है। ग्रामीण अंचलों में किसान हो या छोटा व्यापारी सब नगद पर अपना कारोबार चलाते हैं। कई विभागों में 24 तारीख तक पुरानी नोट की छूट दी गयी है। ऐसे में मंडी परिषद में भी इसकी छूट मिलनी चाहिए।

कीमतों में आ सकता है उछाल

मंडी में कृषि उत्पादों की आवक शून्य होने का सीधा असर बाजार पर पड़ेगा। जहां पहले से ग्राहक ना होने की वजह से व्यापारी परेशान हैं। वहीं अब मंडियों में आवक ना होने से कृषि उत्पाद के दाम में भी भारी बढ़ोत्तरी होने की आशंका है। स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में सब्जियों पर इसका सीधा असर पड़ेगा और महंगाई में एक बार फिर उछाल आयेगा। नोट बंदी की सबसे अधिक मार ग्रामीण अंचलों में पड़ रही है, जहां बैंकों तक कैश नहीं पहुंच पा रहे हैं। किसानों की फसल खेत में ही खराब हो रही है।

Posted By: Inextlive