ह्यूमिडिटी, टेंप्रेचर और रेनफॉल बन रहा मासूमों का काल
- बारिश का मौसम और एटमॉस्फियर की दशा बढ़ा रहे हैं इंसेफेलाइटिस के मरीज, 5-15 साल के बच्चे सबसे ज्यादा पीडि़त
- ज्यादा बारिश के बाद डायग्नोज हो रहे हैं केस, एमएमएमयूटी के स्टूडेंट्स की रिसर्च में सामने आई बातGORAKHPUR: मौसम का यह सितम सिर्फ गर्मी या सर्दी भर नहीं है बल्कि बारिश में भी लोगों की जान जा रही है। ऐसा कहीं और नहीं बल्कि गोरखपुर में देखने को मिल रहा है। मौसम की इस बेरुखी की वजह से सबसे ज्यादा इंसेफेलाइटिस केस डायग्नोज हो रहे हैं और मासूम काल के गाल में समा रहे हैं। यह बात सामने आई है एमएमएमयूटी से रिसर्च कर रहे गौरव शर्मा की स्टडी में, एक साल तक लगातार वर्क करने के बाद यह सामने आया है कि जब भी एटमॉफिसयरिक कंडीशन एडवर्स होती है और ह्यूमिडिटी के साथ ही रेनफॉल का रेश्यो बढ़ता है, तो इंसेफेलाइटिस के केस सबसे ज्यादा मिलते हैं।
जुलाई से अक्टूबर है जानलेवास्टडी में यह बात सामने आई कि रिलेटिव ह्यूमिडिटी, एवरेज टेंप्रेचर और मंथली टोटल रेनफॉल की कंबाइन स्टडी की गई, तो इस दौरान जुलाई से अक्टूबर तक सबसे ज्यादा केस डायग्नोज हुए। सबसे ज्यादा केस अगस्त और सितंबर में डायग्नोज हुए। इस दौरान एवरेज टेंप्रेचर 30 डिग्री सेल्सियस के बीच मिला, जबकि ह्यूमिडिटी 70 से 77 डिग्री के बीच रही। इस दौरान करीब एईएस के 200 केस डायग्नोज हुए। वहीं जब ह्यूमिडिटी और रेनफॉल का रेश्यो कम हुआ, तो इंसेफेलाइटिस के केस भी खुद ब खुद कम होते चले गए।
यह हैं 2017 के स्टैटिक्स मंथ एईएस ह्यूमिडिटी टेंप्रेचर रेनफॉल जनवरी 5 64 18 5.2 फरवरी 8 57 19 0 मार्च 11 52 24 5.4अप्रैल 17 43 30 2.4
मई 31 48 31 37.7 जून 20 63 32 130.1 जुलाई 98 75 30 476.7 अगस्त 208 77 30 354सितंबर 194 70 30 142.8
अक्टूबर 142 68 30 0.9 नवंबर 76 62 22 0 दिसंबर 18 67 17 0 वर्जन स्टूडेंट्स की रिसर्च में यह बात सामने आई कि ज्यादा ह्यूमिडिटी, रेनफॉल और एवरेज टेंप्रेचर जब भी ज्यादा हुआ है, तो ज्यादा इंसेफेलाइटिस के केस डायग्नोज हुए हैं। इसलिए हमें पानी के साथ ही इस पीरियड का भी खास ख्याल रखना होगा और इसके अकॉर्डिग कैंपेन प्लान करने होंगे। - प्रो। गोविंद पांडेय, एचओडी, सिविल इंजीनियरिंग, एमएमएमयूटी