Communication is not just talking. To be heard it is important to listen. Real sensitive and serious listening helps in affective communication. Be a patient and good listener to become an affective communicator.


क्या आपको पता है कि अच्छा कम्यूनिकेट करने के लिए आपकी लिसनिंग स्किल्स भी उतनी ही अच्छी होनी चाहिए? जी हां, ये बिल्कुल सही है. छोटे बच्चे अपने आस-पास की चीजें सुनकर ही बोलना सीखते हैं उसी तरह जब आप सुनेंगे तभी आप इफेक्टिवली बोलना सीखेंगे. आइए जानते हैं एक अच्छा लिसनर कैसे बनें-

कोई भी बात सुनते समय आपकी बॉडी लैंग्वेज शो करती है कि आप सामने वाले की बात सुन रहे हैं. आई कांटैक्ट बना कर रखना आपके इंट्रेस्ट को साबित करता है. आपकी बॉडी लैंग्वेज ना सिर्फ आपको एक अच्छा लिसनर साबित करेगी बल्कि इससे आपको सही से सुनने में भी हेल्प मिलेगी. जब आप बोलने वाले के करीब होते हैं तो ज्यादा बेहतर सुनते हैं और आसानी से डिस्ट्रैक्ट नहीं होते.


किसी ने जो भी बात बोली है उसके आखिरी शब्दों को रिपीट करने से यह पता चलता है कि आपने उसकी बात सुनी है. अब ऐसा ना हो कि आप उसके हर सेंटेंस के आखिरी शब्द रिपीट करें. इससे उसने क्या बोला है उसे समझने में भी आसानी होती है. अगर आपने कुछ गलत समझा है तो स्पीकर समझ जाएगा और आपको करेक्ट करने की कोशिश करेगा.

जो भी स्पीकर है उस पर फोकस करें. जो भी सामने बोल रहा है. स्पीकर पर अपना पूरा अटेंशन देने से उसे लगेगा कि आप दीवारों में, इधर-उधर देखने के बजाय उसकी बात को इंपॉर्टेंस देकर सुन रहे हैं. अगर आप जरा सा भी डिस्ट्रैक्ट हुए तो आप इंफॉर्मेशन को मिस कर सकते हैं और उसे गलत मिसइंटरप्रेट करेंगे.जो भी पर्सन बोल रहा है उसे बीच-बीच में इंटरप्ट ना करें. सामने वाले की बात सही ढंग से सुनें और कन्वर्सेशन में ब्रेक प्वॉइंट का इंतजार करें. उस ब्रेक प्वॉइंट पर सवाल करें या अपने व्यूज एक्सप्रेस करें. इंटरप्ट करने से ये लगेगा कि आप सिर्फ अपने थॉट प्रॉसेस में बिजी हैं ना कि स्पीकर की बातों को सुनने में.लिसनिंग में आपकी आंखों का मूवमेंट भी बहुत मायने रखता है. एक टक लगाकर देखने से आप उसे डिस्टर्ब कर सकते हैं. आपका आई कांटैक्ट हर थोड़ी देर में चेंज होता रहना चाहिए. आप अपनी आंखों को उसकी दोनों आंखों के बीच रोटेट करते रह सकते हैं.

Posted By: Surabhi Yadav