एनआईआरएफ की रैकिंग जारी होने के बाद इलाहाबाद विवि रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व हेड प्रो. एके श्रीवास्तव व पुरा छात्र रहे रिटायर्ड आईजी बीपी सिंह ने बया किया दर्द

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PRAYAGRAJ: एमएचआरडी की नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेमवर्क यानि एनआईआरएफ की इंस्टीट्यूशनल रैकिंग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय को टॉप दौ सौ विश्वविद्यालयों की सूची में भी रैंक नहीं मिली तो उसकी भड़ास कह लीजिए या दर्द विश्वविद्यालय के पुरा छात्रों की जुबा पर आ ही गया. विश्वविद्यालय की पुरा छात्र व रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव और पुरा छात्र व रिटायर्ड आईजी बीपी सिंह ने तो फेसबुक पर पोस्ट लिखकर विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. आरएल हांगलू को बाहर का रास्ता दिखाने की बातें की है. आईजी पोस्ट से रिटायर हुए आईपीएस श्री सिंह ने अपनी फेसबुक वॉल पर विश्वविद्यालय की गिरती साख के लिए कई कारणों को जिम्मेदार बताया है.

आईपी सिंह ने फेसबुक पर बताये कारण

अध्यापकों की कमी

अध्यापक भर्ती में जातिवाद

नियुक्ति में भ्रष्टाचार

दागदार कुलपति व उनकी टीम

प्रतिदिन होने वाले बवाल

छात्रावासों में रह रहे अवैध छात्र

प्राध्यापकों द्वारा पढ़ाई में रुचि का अभाव

शोध का निम्न स्तर

श्री सिंह ने सवाल उठाते हुए मंत्रालय पूछा है कि क्या इविवि के प्राचीन गौरव की वापसी के लिए ठोस सार्थक प्रयास करेगा, इसके प्रमुख जिम्मेदार कुलपति को बाहर का रास्ता दिखाएगा. यक्ष प्रश्न यही है.

प्रो. हांगलू आप कुलपति होने लायक नहीं : प्रो. श्रीवास्तव

प्रो. अरूण कुमार श्रीवास्तव ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि मन में कितनी असहनीय पीड़ा है, कैसी मर्मातक वेदना है. उसे शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है. इसलिए आज कोई लाग लपेट नहीं साफ साफ कहना चाहता हूं कि प्रो. हांगलू आप विश्वविद्यालय के कुलपति होने लायक नहीं हैं. हमारी मातृ संस्था पर अब तो रहम कीजिए और यदि आपमें कुछ भी नैतिकता शेष रह गई हो तो तत्काल त्यागपत्र देकर चले जाइए. इतना ही नहीं प्रो. श्रीवास्तव ने अपने साथियों से कहा कि चारण और भाटों से दूर खड़े होकर जो सम्मानित अध्यापक मित्र तटस्थ बने हुए हैं उनसे मात्र इतना ही कहना चाहता हूं कि 'समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र, जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी इतिहास'.

खूब हुआ लाइक, छात्रों ने किया शेयर

प्रो. श्रीवास्तव की वॉल हो या पूर्व आईजी श्री सिंह का फेसबुक पर बयां हुआ दर्द. इनसे जुड़े शोध छात्रों, शिक्षकों व अन्य लोगों ने न केवल लाइक किया बल्कि शेयर भी किया है. इसे तीन सौ से ज्यादा लाइक और दो सौ ज्यादा कमेंट किया गया है. दो दर्जन से अधिक लोगों ने तो प्रो. श्रीवास्तव की बातों को शेयर भी किया है. इतना ही नहीं छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने यहां तक लिख दिया है कि प्रायोजित प्रवक्ताओं ने वहीं रटा रटाया तर्क देना शुरू कर दिया है कि छात्रसंघ की वजह से विश्वविद्यालय की साख प्रभावित हुई है. उन्होंने यह भी लिखा कि हांगलू के नाम के कसीदे पढ़ने वालों, तुम सब पूरब के ऑक्सफोर्ड के चीरहरण के सहअभियुक्त हो.

Posted By: Vijay Pandey