- अपनी दुनिया में खोए रहते हैं बीमारी के शिकार बच्चे

- शुरुआत में पहचान हो जाने से जीवन में तरक्की संभव

ALLAHABAD: ऑटिज्म कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। इस बीमारी का भले ही मेडिकल साइंस कारण पता न कर सकी हो लेकिन प्रॉपर देखभाल व इलाज से बच्चों को जीवन में सफल बनाया जा सकता है। व‌र्ल्ड में ऐसी कई महान शख्सियत रहीं हैं जिन्होंने ऑटिज्म से ग्रसित होने के बावजूद नाम कमाया। डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे बच्चों के प्रति पैरेंट्स और सोसायटी को अपना नजरिया बदलना होगा। इन्हें लोगों से प्यार और अपनेपन की जरूरत होती है।

एक हजार में दो बच्चे होते हैं शिकार

आंकड़ों के मुताबिक एक हजार की आबादी में दो बच्चे ऑटिज्म का शिकार होते हैं। मेडिकल साइंस इस बीमारी का कारण पता नहीं कर सकी है लेकिन लक्षण के आधार पर इन्हें पहचाना जा सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि ये बिहेवियर और साइकोलॉजिकल फेनोमिना से ग्रसित होते हैं। इनकी अपनी दुनिया होती है। ये फिक्स पैटर्न पर लाइफ को नहीं जी पाते। दूसरों की तरह सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती। सोशल कम्युनिकेशन और इंटरेक्शन में इन्हें खासी दिक्कत होती है।

सेरेब्रल पाल्सी के बच्चों में मिलते हैं लक्षण

हमारे देश में सेरेब्रल पाल्सी से पीडि़त बच्चों की खासी तादाद है। ये बच्चे मानसिक रूप से विकलांग होते है। सेरेब्रल पाल्सी के मरीजों में कई बार ऑटिज्म के लक्षण भी पाए जाते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर शुरुआती स्टेज में बीमारी की पहचान कर ली जाए तो ऐसे बच्चे जीवन में मनचाही सफलता पा सकते हैं। इन्हे ंपैरेंट्स और सोसायटी से सपोर्ट की जरूरत होती है। इलाज के साथ ऐसे बच्चों को ट्रेनिंग की भी जरूरत होती है। सामान्य बच्चों की तरह सोचने-समझने की क्षमता कम होने की वजह से इन्हें ट्रेंड करने में टाइम लग जाता है।

इन्होंने बीमार होकर भी कमाया नाम

व‌र्ल्ड में ऐसी कई फेमस शख्सियत हैं जिन्होंने ऑटिज्म से पीडि़त होने के बावजूद दुनियाभर में नाम कमाया। आज उनकी सफलता की मिसाल दी जाती है। इनमें से महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, बिल गेट्स, हॉलीवुड एक्ट्रेस डेरिल हन्नाह आदि का नाम शामिल है। ऑटिज्म से पीडि़त बच्चों में आर्टिस्टिक अप्रोच ज्यादा पाई जाती है।

बचपन में ही पैरेंट्स को आटिज्म के लक्षणों को पहचान लेना चाहिए। इसके बाद सही दिशा में इलाज के जरिए ऐसे बच्चों को प्रॉपर गाइडेंस दिया जा सकता है। अक्सर देखा जाता है माता-पिता काफी देरी से डॉक्टर के पास आते हैं।

डॉ। प्रकाश ख्ेातान, न्यूरो सर्जन

ऑटिज्म के शिकार मरीज अपनी दुनिया में रहते हैं। सामान्य लोगों की तरह इनकी फिक्स लाइफ नहीं होती। ये अपनी धुन के पक्के होते हैं। इनके साथ घुलना मिलना मुश्किल काम है। ऐसे बच्चों के लिए इलाज के साथ प्रॉपर ट्रेनिंग दी जाती है। सोसायटी का अहम रोल होता है।

डॉ। जितेंद्र जैन, सचिव, संवेदना ट्रस्ट

Posted By: Inextlive