जनजागरूकता के लिए सोशल मीडिया से सड़क तक हेल्थ मिनिस्ट्री चलाएगा अभियान

स्वास्थ्य विभाग बताएगा लोगों को दवाई के नफा-नुकसान

>Meerut . तमाम कवायदों के बाद भी बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के लाल लकीर यानी स्पेशल लेबलिंग वाली दवाइयां धड़ल्ले से खरीदी-बेची जा रही हैं. इन्हें लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय एक बार फिर सख्त हो गया है. इस बार मंत्रालय ने सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक कैंपेन चलाकर इनके प्रति न केवल लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. बल्कि बिना सलाह इनसे होने वाले नफा-नुकसान के बारे में भी सीधे लोगों को जानकारी दी है.

ये हैं दवाइयां

लाल लकीर वाली दवाइयां दरअसल ऐसी दवाइयां हैं जिन्हें खास तरह की बीमारियों के इलाज के लिए बनाया जाता है. इनमें पेन किलर, नारकोटिक्स, एंटीबॉयोटिक्स, एच-1, एच, एक्स, जी शेड्यूल समेत 800 से अधिक सॉल्ट शामिल हैं. इन दवाइयों की पहचान अलग से हो सके इसलिए ही इनकी स्ट्रिप व बॉक्स पर लाल लकीर या बॉक्स का कुछ हिस्सा लाल कर दिया जाता है ताकि आसानी से इनकी पहचान हो सके.

इसलिए परहेज है जरूरी

लाल लकीर वाली सभी दवाइयों के सॉल्ट कॉम्बीनेशन खास तरह से तैयार किए जाते हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के इनके सेवन करने से मरीज की जान जाने का खतरा भी हो सकता है. स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों के मुताबिक अक्सर मरीज इधर-उधर दवाइयों का नाम सुन या पढ़ लेते हैं और अपने हिसाब से ही उनका सेवन भी करने लगते हैं. खासतौर से पेन किलर और एंटीबॉयोटिक्स को लेकर लोग सजग नहीं होते हैं. इन दवाइयों की वजह से कई बार किडनी व अन्य बॉडी पार्ट डैमेज तक होने की नौबत जा जाती है. इसलिए इनका परहेज जरूरी हाेता है.

सोशल मीडिया पर कैंपेन

लेबलिंग वाली दवाइयों का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर लोगों से अपील करनी शुरु कर दी है. इसके तहत मंत्रालय ने फेसबुक, ट्विटर आदि पर इसकी जानकारी शेयर की है. इसके अलावा विभागों को भी निर्देश दिए हैं कि वह जनजागरूकता के लिए इसके लिए प्रॉपर अभियान चलाएं ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में जानकारी ि1मल सके.

हो सकती है कार्रवाई

इस तरह की दवाइयों को न केवल खरीदने बल्कि बेचने पर भी रोक लगा दी गई है. औषधि व प्रसाधन एक्ट के तहत इस तरह की दवाइयों को बिना डॉक्टर के पर्चे के बेचने वाले विक्रेता पर भी विभाग ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. गाइडलाइन के अनुसार इस तरह की दवाइयों को बेचने के लिए विक्रेता को अलग से रिकार्ड तैयार करना होगा. वहीं अगर ऐसा नहीं होता है और कोई विक्रेता बिना रिकार्ड इन दवाइयों को बेचता है तो उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है.

इनका है कहना

लाल लकीर दवाइयों की एक तरह लेबलिंग होती हैं. इन दवाइयों का प्रयोग बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं किया जा सकता है. जबकि एक बार पर्चे पर लिखने के बाद भी दोबारा अगर समस्या होती है तब भी डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है. इन दवाइयों की डोज काफी स्ट्रांग होती है और खुद से सेवन करने पर दिक्कत हो सकती है.

पवन शाक्य, ड्रग इंस्पेक्टर, मेरठ.

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लाल लकीर वाली दवाइयों को लेकर मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी की है. इनका सेवन बिना डॉक्टरी जांच के नहीं किया जा सकता है. हालांकि लोगों मे इसके लिए जागरूकता नहीं हैं. निमोस्लाइड जैसी दवाइयों का सेवन लोग खुद ही कर लेते हैं. यह खतरनाक है.

रजनीश कौशल, महामंत्री, ड्रग एसोसिएशन

Posted By: Lekhchand Singh