-मनोसमर्पण संस्था के शैलेष ने अपनों से मिलवाया

-मानसिक स्थिति ठीक न होने के चलते अपनों से बिछड़ गई थी

बरेली: पश्चिम बंगाल के डिस्ट्रिक्ट कूच बिहार के गांव छाटदुदीरखुटी निवासी राशिदा भाई-बहनों के साथ बरेली के मेंटल हॉस्पिटल पहुंची तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 15 साल पहले बिछड़ी उनकी मां आयशा खातून उनके सामने थीं। यह संभव हुआ बरेली के मनोसमर्पण संस्था के अध्यक्ष शैलेष कुमार शर्मा के प्रयास से। जिन्होंने काउंसिंलिंग के बाद आयशा का एड्रेस पता किया और फिर वहां जाकर परिजनों को उनके बारे में बताया। बरेली आकर परिजन उन्हें अपने साथ ले गए।

लखीमपुर स्टेशन पर मिली थी

करीब 15 साल पहले लखीमपुर खीरी स्टेशन पर वह भटकती हुई मिली थी। इसके बाद आयशा को लखीमपुर के सलेमपुर स्थित अल्पावास गृह में एडमिट कराया गया। मानसिक हालत ठीक न होने के चलते 17 अगस्त 2016 को आयशा को बरेली के मेंटल हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। यहां शैलेश ने लंबे समय तक उसकी काउंसलिंग की, जिसके बाद उसने अपने नाम के साथ एड्रेस भी बताया। एड्रेस मिलने के बाद शैलेश ने उसके परिजनों की तलाश शुरू की। आयशा के पांच बच्चे हैं, जिसमें तीन बेटियां और दो बेटे हैं। तीनों बेटियों की शादी हो चुकी है और दोनों बेटे प्राइवेट जॉब में हैं।

उठाई परिवार की जिम्मेदारी

राशिदा ने बताया कि जब उनकी मां आयशा घर से गई थीं तब वह महज 12 साल की थी। मां के जाने के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन पर आ गई। मां को काफी तलाश किया, लेकिन कुछ पता नहीं लगा। जब शैलेश शर्मा ने उन्हें उनकी मां के बरेली में होने की जानकारी दी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह अपनी बहन मुशीदा और भाई अशरफ के साथ मां को ले जाने के लिए बरेली पहुंचीं। मेंटल हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक और प्रभारी डॉ। सीपी मल्ल ने बताया कि सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आयशा को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। मनोसमर्पण संस्था के अध्यक्ष शैलेश कुमार शर्मा ने बताया कि आयशा के आगे होने वाले ट्रीटमेंट के लिए दवाई का प्रबंध उनकी संस्था की ओर से किया जाएगा।

Posted By: Inextlive