9 नवंबर को अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। इस फैसले के खिलाफ कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं थीं। अब सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

कानपुर। अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके बाद शीर्ष अलादत के निर्णय के खिलाफ 19 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इससे अब यह तय हो गया है कि अयोध्‍या केस अब कोई भी विचार नहीं होगा और अयोध्या में अब राम मंदिर बनाने में कोई भी अड़चन आगे नहीं आएगी।

Supreme Court dismisses all the review petitions in Ayodhya case judgment. pic.twitter.com/vZ2qKdk59A

— ANI (@ANI) December 12, 2019

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इन-चेंबर की याचिकाओं पर सुनवाई की। बता दें कि पिछले महीने, पांच-न्यायाधीशों वाली पीठ ने सर्वसम्मति से राम लल्ला के पक्ष में फैसला सुनाया था और कहा था कि 2.7 एकड़ में फैली पूरी विवादित भूमि को सरकार द्वारा गठित एक ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा, जो स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की निगरानी करेगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच परामर्श के बाद एक मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में एक प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित की जानी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र को नए ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को प्रतिनिधित्व देने का निर्देश दिया है।
योग्यता नहीं मिलने पर अदालत ने खारिज की याचिका
शीर्ष अदालत ने कोई योग्यता नहीं मिलने के बाद समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया। 18 समीक्षा याचिकाएं थीं, जिनमें से नौ उन दलों द्वारा दायर की गई थी जो पहले मुकदमेबाजी का हिस्सा थे और अन्य नौ 'तीसरे पक्ष' द्वारा दायर किए गए थे। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों द्वारा दायर नौ समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया, जो मूल मुकदमेबाजी का हिस्सा नहीं थे।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी पहली याचिका
अयोध्या के फैसले की समीक्षा करने वाली पहली याचिका 2 दिसंबर को, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने शीर्ष अदालत में दायर की थी। इसके बाद छह दिसंबर को शीर्ष अदालत में छह समीक्षा याचिकाएं दायर की गई थीं. फिर, 9 दिसंबर को, दो और समीक्षा याचिकाएं दायर की गईं, एक अखिल भारत हिंदू महासभा और दूसरी 40 लोगों द्वारा, जिनमें अधिकार कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

Posted By: Mukul Kumar