मसाला मूवीज की अहमियत आयुष्मान खुराना अच्छी तरह समझते हैं पर उनका कहना है कि सिनेमा में सोसाइटी की बुराइयां भी दिखाई जानी चाहिए...


features@inext.co.inKANPUR: आप उनसे किसी ड्रामा मूवी में काम करा लें, कॉमेडी करा लें या सोशल इश्यू पर बेस्ड कोई प्रोजेक्ट करा लें... आयुष्मान खुराना उसमें अपना सब कुछ झोंककर आपको रिजल्ट्स अच्छे ही देंगे। उन्हें खुद भी रेलिवेंट कहानियां सुनाना पसंद है पर जब हमारे देश में मौजूद 'कास्ट डिस्क्रिमिनेशन' पर बनी अनुभव सिन्हा की मूवी आर्टिकल 15 उनके सामने आई तो उसके लिए हामी उन्होंने अपने एक पर्सनल एक्सपीरियंस के चलते भरी। शेयर किया काॅलेज का एक किस्सा


आयुष्मान ने बताया कि कैसे जूनियर कॉलेज के दिनों में 'कास्ट डिवाइड' की कड़वी सच्चाई से उनका सामना हुआ था। आपको बता दें कि सिर्फ 'रील लाइफ' में ही नहीं बल्कि 'रियल लाइफ' में भी यह एक्टर सोशल इश्यूज पर काम करता है। आयुष्मान दिल्ली के एक 'एनजीओ' को सपोर्ट करते हैं, जो कूड़ा उठाने वाली महिलाओं के सम्मान और बेहतर जिंदगी के लिए काम करता है। पहुंच चुकी है प्रॉब्लम अपने कॉलेज का किस्सा शेयर करते हुए आयुष्मान ने बताया, 'मुझे याद है कि मेरे क्लास के टॉपर ने चंडीगढ़ के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में अपनी जगह बना ली थी।' इस तस्वीर को देख कर पहचानें तो जानें, ये हैं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन

आयुष्मान 'ड्रीम गर्ल' के लिए 10 मिनट में हो गए राजी, जानें कौन है येसोसाइटी की जड़ों तकउन्होंने आगे कहा, 'तब जाकर मेरे बैचमेट्स को पता चला कि वो रिजव्र्ड कैटेगरी से ताल्लुक रखता है। इस खुलासे ने उस लड़के पर बहुत गहरा असर छोड़ा था क्योंकि वह अपनी कास्ट किसी को नहीं बताना चाहता था। वह डिप्रेशन में चला गया। यह इंसिडेंट बताता है कि यह प्रॉब्लम हमारी सोसाइटी की जड़ों में काफी गहराई तक उतर चुकी है। हमें सबको बराबरी का दर्जा देना चाहिए।' आयुष्मान का मानना है कि सिनेमा को हमारी सोसाइटी में मौजूद बुराइयों को भी दिखाना चाहिए।

Posted By: Vandana Sharma