शीतकालीन प्रवास के बाद चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ शुक्रवार को गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर से रुद्रनाथ के लिए रवाना हो गए। अब 19 मई को ब्रह्म मुहूर्त में कपाट खोले जायेंगे।

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DEHRADUN: शीतकालीन प्रवास के बाद चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली फ्राइडे को गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर से रुद्रनाथ के लिए रवाना हो गई. इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना के साथ बाबा रुद्रनाथ की डोली को विदा किया. डोली पांच किमी की दूरी तय कर रात्रि विश्राम के लिए रुद्रनाथ पुल नामक स्थान पर पहुंची. यहां से डोली आज रुद्रनाथ धाम पहुंचेगी और 19 मई को ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे. बाबा की उत्सव डोली 15 मई से गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर परिसर में विराजमान कर दी गई थी. फ्राइडे सुबह पुजारी जना‌र्द्धन तिवारी डोली की पूजा-अर्चना की और फिर वह पनार व सगर गांव होते हुए रुद्रनाथ पुल पहुंची. यहां पर गंगोलगांव के दीपक रावत की ओर से भंडारे का आयोजन किया गया.

 

 

गर्भगृह से बाहर आए बाबा मध्यमेश्वर

उधर, द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया भी आरंभ हो गई है. फ्राइडेको ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी शिवशंकर ¨लग ने गर्भगृह में विशेष पूजाएं संपन्न कर बाबा को भोग लगाया. केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर ¨लग ने मध्यमेश्वर धाम के लिए नियुक्त पुजारी बागेश ¨लग को संकल्प दिलाया. फिर पंच गौंडारियों की उपस्थिति में बाबा की भोगमूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाकर सभामंडप में विराजमान किया गया. इस दौरान नगर पंचायत ऊखीमठ के ओंकारेश्वर व उदयपुर वार्ड की महिलाओं ने बाबा की भोगमूर्ति को छाबड़ी (नए अनाज) का भोग लगाया. आज भी भोगमूर्ति यहीं विराजमान रहेगी. 19 मई को लोकवाद्यों की धुन के बीच बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली ओंकारेश्वर मंदिर से प्रस्थान कर रांसी और 20 मई को गौंडार पहुंचेगी. 21 मई को सुबह डोली मध्यमेश्वर पहुंचेगी और फिर मंदिर की एक परिक्रमा के बाद कर्क लग्न में 11.30 बजे धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे.

Posted By: Ravi Pal