RANCHI: 11 जनवरी 1958 में गिरिडीह के कोडिया बैंग में जन्मे बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके अलावा वे 1998, 1999 में दुमका, 2004 और 2009 में कोडरमा से सांसद रहे हैं। अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव से पूरी करने के बाद उन्होंने गिरिडीह कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही बाबूलाल संघ परिवार से जुड़े। काफी समय तक संघ और आरएसएस में काम करने के बाद उन्हें विश्व हिन्दू परिषद का सचिव बनाया गया। संघ और आएसएस से जुड़ने से पहले बाबूलाल एक स्कूल टीचर थे। 1989 में उनकी शादी शांतिदेवी से हुई थी, दोनों का एक बेटा अनूप मरांडी भी था, जिसकी 2007 में नक्सली हमले में मौत हो गई थी।

बड़ा बाबू ने मांगी रिश्वत तो छोड़ी नौकरी

झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो रहे बाबूलाल मरांडी का राजनीतिक जीवन भी काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनने वाले बाबूलाल ने बाद में भाजपा से अलग होकर झाविमो का गठन किया था। वहीं, अपने राजनीतिक जीवन के दौरान 2007 में हुए नक्सली हमले में बेटे को खोया। बाबूलाल मरांडी जब शिक्षक थे, तब एक बार उन्हें शिक्षा विभाग में काम पड़ गया। जब वह काम कराने विभाग के कार्यालय में गए तो वहां के बड़े बाबू ने काम के एवज में उनसे रिश्वत देने की मांग की। इस बात को लेकर दोनों में काफी कहासुनी हुई और इसके बाद गुस्साए बाबूलाल ने शिक्षक की नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया।

1991 में पहली बार लड़ा लोस चुनाव हारे

कई सालों से दुमका में काम कर रहे बाबूलाल मरांडी को भाजपा ने 1991 में यहां से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया, लेकिन वे हार गए। 1996 में एक बार फिर वे शिबू सोरेन से इस सीट पर मात खा गए। इसके बावजूद 1998 के विधानसभा चुनाव के लिए मरांडी को भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। इसी साल हुए आम चुनाव में वे शिबू सोरेन को दुमका से हराने में कामयाब रहे। 1999 में अटल सरकार में उन्हें वन पर्यावरण राज्य मंत्री बनाया गया। एनडीए की सरकार में बिहार के 4 सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई। इनमें से एक बाबूलाल मरांडी भी थे। 1999 में लोकसभा भंग हो गई। दुमका सीट पर मरांडी ने फिर से चुनाव लड़ा और शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन को 5000 वोटों से हरा दिया। 2000 में झारखंड राज्य बनने के बाद एनडीए सरकार में बाबूलाल ने राज्य में सरकार बनाई।

2003 में नेतृत्व परिवर्तन के बाद छोड़ा सीएम पद

2003 में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सत्ता अर्जुन मुंडा को सौंप दी गई। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने कोडरमा सीट से चुनाव जीता। मरांडी ने 2006 में कोडरमा सीट सहित भाजपा की सदस्यता से भी इस्तीफा देकर झारखंड विकास मोर्चा नामक से नई राजनीतिक पार्टी बनाई। इसके बाद कोडरमा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बाबूलाल मरांडी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता। फिर 2009 में भी उन्होंने कोडरमा सीट से लोकसभा का चुनाव जीता। इसके बाद झारखंड में 2014 में विधानसभा चुनाव में बाबूलाल ने दो सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों सीटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा की अन्नपूर्णा देवी से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कोडरमा विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की।

Posted By: Inextlive