देहरादून.

बचपन बचाने में सरकार का रवैया सुस्त नजर आ रहा है. बचपन बचाओ आंदोलन सहित अन्य संगठनों ने मिलकर जून के महीने को बाल श्रमिकों के विरुद्ध कार्रवाई का महीना घोषित किया था. इसके लिए राज्य स्तर पर श्रम विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र भी दिए गए, लेकिन कोई उचित जवाब नहीं आने से कार्रवाई अधर में लटक गई.

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ये थी प्लानिंग

बचपन बचाओ आंदोलन, श्रम विभाग, पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और अन्य गैर सरकारी संगठनों को साथ मिलकर बाल श्रमिकों के लिए संयुक्त कार्रवाई करनी थी. इसके लिए श्रम आयुक्त सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को लेटर भी भेज दिए गए थे.

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दून में ही सिमटा अभियान

उच्च अधिकारियों के सुस्त रवैये के चलते ये अभियान दून में ही सिमट कर रह गया. जबकि प्लानिंग के तहत दून सहित हल्द्वानी, उधमसिंह नगर, हरिद्वार आदि इलाकों में फोकस करना था. इसके पश्चात अन्य जगहों पर काम होना था.

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दून में भी स्थिति खराब

बच्चों को रेस्क्यू किए जाने के मामले में दून में भी स्थिति बेहतर नहीं है. यहां भी जब 10 वर्ष या इससे अधिक आयु के बालक मिलते हैं तो उनको रखने के लिए कोई जगह ही नहीं है. ऐसे में उन्हें हरिद्वार भेजना होता है. जहां तक भेजना भी बेहद कठिन हो जाता है.

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इस महीने बाल मजदूरी के खिलाफ खूब कार्रवाई करने की प्लानिंग थी लेकिन उच्च अधिकारियों की ओर से अब तक किसी तरह का सहयोग नहीं मिला है. ऐसे में इस दिशा में तेजी से काम नहीं कर पा रहे हैं.

सुरेश उनियाल, स्टेट कार्डिनेटर, बचपन बचाओ

Posted By: Ravi Pal