- फोटो421422 भिखारियों की फोटो

- हर की पैड़ी पर भीख मांगने पर है प्रतिबंध

- प्रतिबंध के बाद भी लगी भिखारियों की कतारें

HARIDWAR: हर की पैड़ी पर भीड़भाड़ के साथ ही भिखारियों की संख्या भी बढ़ने लगी है। हर की पैड़ी पर भीख मांगने पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है, बावजूद इसके यहां पर भिखारियों की कतारें लगी हैं। प्रतिबंध के बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई

सरकार ने भिखारियों के लिए राजकीय भिक्षुक गृह बनाया है। जहां दो वक्त का खाना और आजीविका के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की भी व्यवस्था है। आंकाड़ों की बात करें तो अप्रैल ख्0क्भ् से राजकीय भिक्षुक गृह में ब्ब्फ् भिखारी पुलिस द्वारा भेजे गए। जहां से राज्य सरकार के भिक्षावृत्ति प्रतिषेध अधिनियम क्97भ् के तहत सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट से यह भिखारी दोबारा भिक्षावृत्ति न करने का एक हजार रुपए का बांड भरकर रिहा हो गए, लेकिन इनमें से अधिकांश फिर से इस काम में रम गए। हर की पैड़ी पर श्रद्धालुओं के बीच इनकी मौजूदगी कभी भी, कहीं भी देखी जा सकती है, रेलवे व बस स्टेशन पर भी यह यात्रियों के सामने हर कहीं हाथ पसारे खड़े मिल जाएंगे। आरोप है कि इनकी इस आदत से परेशान अब सरकारी महकमों ने इन्हें पकड़ने का काम ही बंद कर दिया है। यही वजह है कि दो माह से भिखारियों की धरपकड़ का अभियान ठप पड़ा है, इसका नतीजा है कि कई माह से अब तक राजकीय भिक्षुक गृह में एक भी भिखारी नहीं पहुंचा।

पेट का सवाल है क्या करें

हर की पैड़ी पर मिले किशोरी कहते हैं कि घर में कोई नहीं है। पुलिस वाले भीख मांगने से रोकते हैं, लेकिन उन्हें रोजगार देने की बात कोई नहीं करता। भीख हम शौक से नहीं विवशता में मांगते हैं। मोहन ने कहा कि हर समय पकड़े जाने का डर रहता है, लेकिन पेट का सवाल है। अब उम्र यह नहीं है कि कोई मेहनत का काम करें।

भिक्षुकों को अधिकतम साठ दिन ही भिक्षुक गृह में रखा जा सकता है। इस अवधि में वह कोर्ट में बांड भरकर छूट जाते हैं। शिक्षकों व प्रशिक्षक के पद खाली होने से उन्हें हुनरमंद बनाने का काम ठप है। इसके लिए शासन को पत्र भेजा गया है।

ओंकार नाथ राय, प्रभारी अधीक्षक, राजकीय भिक्षुक गृह, रोशनाबाद, हरिद्वार

भिखारियों को पकड़ने के लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। मेलों से पहले इनकी धरपकड़ की जाती है।

चंद्रमोहन सिंह, सीओ सिटी हरिद्वार

Posted By: Inextlive