RANCHI : राशन दुकानों पर अब सिर्फ चावल, गेहूं, चीनी और केरोसिन ही नहीं मिलेगा, बल्कि उपभोक्ता यहां से पैसे का लेन-देन भी कर सकेंगे। अब राशन दुकानों में बैकिंग सर्विस देने की तैयारी चल रही है। इस बाबत खाद्य आपूर्ति विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसपर बैंकों ने भी अपनी सहमति दे दी है। पहले चरण में रांची शहर के सभी 53 वार्डो में स्थित जन वितरण की दुकानों में बैंकिंग सर्विस का उपभोक्ता को फायदा मिलेगा।

पीओएस में न्यू सॉफ्टवेयर

राशन दुकानों में बैंकिंग सर्विस शुरु करने की तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। इसके तहत डीलरों को दिए गए पीओएस डिवाइस में न्यू सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया जाएगा। झारखंड राज्य खाद्य आपूर्ति निदेशालय के निदेशक सुनील कुमार ने बताया कि पीओएस में सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होने के उपरांत राशन के साथ-साथ पैसे के लेन-देन की फैसिलिटी उपलब्ध हो जाएगी। इस पीओएस मशीन में उपभोक्ता पैसा जमा करने के साथ निकाल भी सकते हैं।

अर्बन एरिया से आगाज

झारखंड राज्य खाद्य आपूर्ति निदेशालय के निदेशक सुनील कुमार ने बताया कि पहले चरण में शहरी इलाकों के राशन दुकानों में यह सुविधा उपलब्ध होगी। राशन दुकानों में बैंकिंग सर्विस शुरु करने को लेकर बैंकों के साथ बैठक हो चुकी है। इसमें बैंकों को अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव लाने को कहा गया है, ताकि राशन दुकानों के पीओएस डिवाइस से उस सॉफ्टवेयर को कनेक्ट किया जा सके। इसके बाद ही उपभोक्ता पीओएस डिवाइस से पैसे का लेन-देन कर सकेंगे।

पीडीएस डीलर्स को दी जाएगी ट्रेनिंग

राशन दुकानों में बैंकिंग सर्विस शुरु करने को लेकर परेशानी नहीें हो, इस बाबत डीलर्स को ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्हें यह सिखाया जाएगा कि पीओएस डिवाइस से कैसे बैंकिंग सर्विस का इस्तेमाल किया जा सकता है। पैसे का लेन-देने कैसे कर सकते हैं। इसके अलावा खाता खुलवाना और पासबुक अपडेट करने की भी ट्रेनिंग उन्हें मिलेगी। इसके एवज में बैंकिंग कार्य करने वाले डीलरों को बैंकों द्वारा जो फि क्स कमीशन है वह दिया जाएगा। इससे पीडीएस डीलरों की आय में भी वृद्धि होगी।

2016 में फेल कर गई थी यह योजना

खाद आपूर्ति विभाग ने 2016 में भी राशन दुकानों में बैंकिंग सर्विस शुरु करने की योजना बनाई थी। इसके तहत बैंकों को कहा गया था कि वे पीडीएस डीलर्स को इस बाबत लाइसेंस निर्गत करें। इसके अलावा अपने बैंकिंग सॉफ्टवेयर को ऐसा बनाएं, जिसका इस्तेमाल पीओएस मशीन में करने से पैसे का लेन -देन हो सके। लेकिन, बैंकों ने डीलरों को लाइसेंस देने के बजाए प्राइवेट बिजनेस क्रॉसपोंडेंट को लाइसेंस दे दिया था, जिस कारण यह योजना सफल नहीं हो पाई थी।

Posted By: Inextlive