GORAKHPUR : 'दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल'. हमें साबरमती के संत का कमाल तो याद है लेकिन संत याद नहीं है. हम बात कर रहे हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी मोहन दास करम चंद गांधी. थर्सडे को उनकी पुण्यतिथि थी लेकिन गोरखपुर में उनके नाम पर एक कार्यक्रम भी आयोजित नहींकिया गया हालांकि एक पॉलिटिकल पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने बापू के नाम पर एक कार्यक्रम कर लाज रखी.


दिगाम में, लेकिन दिल में नहींदेश की आजादी की लड़ाई की कमान संभालने वाले बापू की सारी याद सिर्फ हमारे दिमाग में है। दिल से तो वे शायद तब ही निकल गए थे, जब एक उन्मादी ने उनकी जान ली थी। बापू की शहादत का दिन तो लगभग सभी गोरखपुराइट्स को याद है, मगर उस दिन उन्हें याद भी करना चाहिए, ये लोग भूल गए। गांधी जी के जन्मदिन पर ढेरों प्रोग्राम कर उन्हें याद करने वाले अधिकांश गोरखपुराइट्स दो मिनट का मौन रख उनको श्रद्धांजलि देना भी भूल गए। एक माला और दे दी श्रद्धांजलि


महात्मा गांधी ने देश की आजादी के लिए एक नहीं कई आंदोलन किए। उनके हर आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की सत्ता की चूलें हिला दीं। आखिर एक टाइम आया, जब अंग्रेजों को बापू के सामने घुटने टेकने पड़े। देश आजाद हुआ तो लोगों ने महात्मा गांधी को बापू के बाद एक नया नाम दिया राष्ट्रपिता। अंग्रेज तो बापू को नहीं हरा पाए, मगर एक उन्मादी नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देने वाले राष्ट्रपिता को हम भूले तो नहीं है। क्योंकि खून और जाति-धर्म से बड़ा कहे जाने वाले रुपये में गांधी जी है। इसलिए गांधी जी का नाम तो लोग हजारों बार लेते है, मगर मन से श्रद्धांजलि एक बार भी नहीं देते। 30 जनवरी, थर्सडे को उनके शहादत के दिन कुछ लोगों ने प्रतिमा पर सिर्फ एक माला चढ़ा कर श्रद्धांजलि दे दी। वहीं लाखों लोगों को याद भी नहीं आया।दिल में नहीं दिमाग में है बापू

बापू, जिनके पीछे कभी लाखों लोग एक आवाज पर खड़े हो जाते थे। अगर वह आज होते तो उन्हें शायद अपनी इस कुर्बानी का अफसोस जरूर होता। जिनके लिए उन्होंने सब कुछ कुर्बान कर दिया, उन लोगों ने बापू को अपने दिल में भी जगह नहीं दी। देश के राष्ट्रपिता के बारे में अधिकांश लोगों को पूरी जानकारी है। फिर चाहे उनकी शहादत का दिन हो, उस उन्मादी का नाम हो या फिर मरने से पहले लिए गए अंतिम दो शब्द। यह आई नेक्स्ट के एक सर्वे में लोगों ने प्रूव भी कर दिया। शहादत का दिन 30 जनवरी तो बताया, मगर यह भूल गए कि वह दिन आज ही है। गवर्नमेंट एडमिनिस्ट्रेशन तो पिछले 65 साल से गांधी जी को याद कर रहा है और दोपहर 12 बजे सायरन बजा कर लोगों को भी याद दिलाता है। मगर अपने शेड्यूल में बिजी गोरखपुराइट्स के पास गांधी जी के लिए भी टाइम नहीं है। नहीं हुए प्रोग्रामदेश के राष्ट्रपिता को लाखों की पापुलेशन वाले गोरखपुर में सैकड़ों लोगों ने भी श्रद्धांजलि नहीं दी। सिटी में ऐसा कोई खास प्रोग्राम ऑर्गनाइज नहीं हुआ, जहां गांधी जी के बारे में लोगों को कुछ बताया गया हो। सिर्फ गांधी जी की प्रतिमा पर एक माला और कुछ पुष्प अर्जित कर श्रद्धांजलि की खानापूर्ति कर दी गई। प्रतिमा के आसपास गंदगी और टूटी लाइट यह साफ बयां कर रही है कि यह श्रद्धांजलि दिल से नहीं बल्कि दिखावे के लिए दी गई है। 2 अक्टूबर को ही रहते हैं याद2 अक्टूबर को गांधी की जयंती होती है। देश भर में उन्हें विभिन्न माध्यमों से याद किया जाता है। गोरखपुर में भी उन्हें याद किया जाता है, लेकिन उनकी पुण्यतिथि सिटी के किसी भी सरकारी महकमे को याद नहींरही। उनके दफ्तरों की दीवारों पर बापू की तस्वीर तो होती है, लेकिन दिल में नहीं। कम से कम उनका तो यह फर्ज बनता है कि देश के राष्ट्रपिता को कम से कम उनकी पुण्यतिथि पर कर लें।

Posted By: Inextlive