यूपी के बरेली जैसे छोटे शहर से निकलकर दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के लिए इतिहास रचना मामूली बात नहीं है। ये काम करके दिखाया है बरेली की निशिता अग्रवाल ने। साल 2009 में फेसबुक का ऑफर ठुकराने वाली निशिता आज एफबी लंदन की लैंडिंग कमेटी की मेंबर हैं। फेसबुक में सीनियर साफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करने वाली निशिता ने दूर दूर तक अपने मां बाप और शहर का नाम रौशन किया है।

अगर इरादे मजबूत हों और परेशानियों से पार पाने का जज्बा हो, तो आसमां छूना मुश्िकल न होगा। यह साबित कर दिखाया है बरेली की लाडली बेटी निशिता ने। जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनों से हजारों किलोमीटर दूर सात समंदर पार भी अपना लोहा मनवाया है। महज कुछ ही सालों में निशिता बरेली की ही नहीं बल्कि इंडिया की भी पहचान बन चुकी हैं। फेसबुक में कदम रखने के महज चंद सालों में वह फेसबुक की लैंडिंग स्टाफ कमेटी की मेंबर बन चुकी हैं। आइए मिलिए बरेली की 'आइकॉन' निशिता से।

ऐसे रखा फेसबुक में कदम
साल 2009 में फेसबुक में इंटर्न बनने के ऑफर को निशिता ने ठुकरा दिया था। इसके बाद जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने के बाद निशिता ने इंग्लैंड में शेक्सपीयर पर रिसर्च की। अक्टूबर 2012 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पोस्ट के लिए दुनिया में से सौ और इंडिया से महज 5 कंडिडेट्स को सलेक्शन हुआ। जिसमें निशिता का नाम सबसे ऊपर था। जून 2013 में निशिता की काबिलियत को देखते हुए उन्हें फेसबुक में प्लेटिनम स्पांसर एक्जीविटर का पद संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद अभी दो वर्ष भी नहीं गुजरे हैं कि निशिता को लंदन में फेसबुक ब्रांच ओपन करने वाली लैंडिंग कमेटी में मेंबर और सीनियर इंजीनियर के पोस्ट पर प्रमोशन मिला है। फेसबुक लंदन में निशिता के काम से हर कोई प्रभावित है। बरेली जैसे छोटे शहर से निकलकर निशिता ने लंदन में फेसबुक के लिए इतिहास रचने वाला काम किया है।

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Posted By: Chandramohan Mishra