नौकरी के रास्ते के अड़ंगे

एक लाख सत्तर हजार नौकरियां। करीब 50 लाख आवेदन और सालों से बस इंतजार। सूबे में रोजगार के सरकारी मौकों की ये हकीकत है। रोज लुभावने सरकारी एलानों के बीच हकीकत ये है कि सभी महत्वाकांक्षी नियुक्ति योजनाएं सरकारी और अदालती प्रक्रिया में फंसी हुई हैं। आवेदन करने वाले बेरोजगारों की फौज एक अड़ंगे दूर होने पर नौकरी की उम्मीद बांधती है तो दूसरा अड़ंगा सामने आ जाता है।

ALLAHABAD: करीब साढ़े तीन साल हो चुके हैं विज्ञापन जारी हुए। शिक्षा मित्रों को आश्वासन मिलने के साथ प्रशिक्षण प्रक्रिया शुरू हुए। लेकिन, एक भी नियुक्ति की फाइनल स्टेज अभी तक नहीं आई है। स्थिति यह है कि बेरोजगार मारे-मारे फिर रहे हैं और उनके रास्ते का रोड़ा है कि दूर होने का नाम ही नहीं लेता। सरकार ने तय कर रखा है कि इस महीने के अंत तक सभी नियुक्तियां पूरी कर ली जाएंगी। लेकिन, वर्तमान में जो परिस्थितियां हैं उससे तो कतई नहीं लगता है ऐसा संभव हो पाएगा। क्या-क्या अड़ंगे हैं नियुक्तियों में आई नेक्स्ट ने की पड़ताल

7ख्, 8ख्भ् सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय

फ्0 नवंबर ख्0क्क् को जारी हुआ था विज्ञापन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टीईटी की मेरिट के आधार पर होनी है नियुक्ति

ख्0क्ख् में नया आवेदन मंगाए जाने पर अभ्यर्थियों ने वापस ले लिया था पैसा

अब फिर से जमा कराया जा रहा है, डाकघरों में भीड़

एक-जिले में 70 हजार से अधिक आवेदन

70 डायट हैं पूरे प्रदेश में, जहां से नियक्ति प्रक्रिया पूरी होगी

ख्क् जुलाई तक अभ्यर्थी भेज सकेंगे प्रत्यावेदन

अब मार्कशीट बन रही है बड़ा रोड़ा

प्राथमिक स्कूलों में खाली पड़े टीचर्स के पदों के लिए प्रदेश सरकार ने पहली बार शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी ख्0क्क् में कराई थी। इसे आयोजित कराने की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद को सौंपी गई थी। परीक्षा हुई और रिजल्ट भी आ गया। अभ्यर्थियों को अपना अंकपत्र साइट से डाउनलोड करना था। बोर्ड मुख्यालय से सभी अभ्यर्थियों के अंकपत्र संबंधित जिलों में भेज दिए गए थे। वहीं से वह बांटे भी गए। इंटरनेट से मार्कशीट डाउनलोड करने में बड़ा खेल हो गया। यूपी बोर्ड की साइट के पैरलल एक और साइट खड़ी हो गई और यहां छात्रों से पैसा लेकर नंबर बदल दिए गए। इस मामले को लेकर बड़ा बवाल हुआ तो जांच बैठा दी गई। जांच में बोर्ड के डायरेक्टर भी दोषी मिले। कानपुर की रमाबाई थाने की पुलिस ने इसका खुलासा करते हुए डायरेक्टर को भी गिरफ्तार किया था। जांच की आंच से बोर्ड सचिव प्रभा त्रिपाठी भी नहीं बच सकी थीं। इतना होने के बाद रिजल्ट की फिर से समीक्षा की गई और उन क्वैचंस में जनरल मार्किंग करने के आदेश दे दिए गए जिनके उत्तर पर छात्रों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। एक प्रश्नों की संख्या आठ थी। इसका नतीजा यह हुआ कि सभी अभ्यर्थियों की पुरानी मार्कशीट बेकार हो गई। इससे पहले ही कानपुर पुलिस बोर्ड के पास मौजूद टीईटी ख्0क्क् से संबंधित डाटा अपने कब्जे में ले चुकी थी। सो संशोधन संभव नहीं हुआ। ख्0क्ख् से आज तक अभ्यर्थी अपनी मार्कशीट को करेक्ट कराने के लिए बोर्ड दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं। विभाग ने क्भ् जुलाई तक आपत्तियां दाखिल करने को तो कह दिया है लेकिन बदले में छात्रों को इसे रिसीव करने का प्रमाण ही मिल रहा है मार्कशीट नहीं। सालों तक कोर्ट में आपत्तियों के चलते फंसी रही नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हो चुकी है। लेकिन, इसमें मार्कशीट का पेंच अब भी फंसा है। यह दुरुस्त नहीं मिली तो अच्छे नंबर वाले अभ्यर्थी भी बाहर हो जाएंगे। विभाग अभी इसका कोई साल्यूशन नहीं दे सका है। इससे आगे भी काउंसिलिंग और नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने के संकेत हैं।

ख्9,फ्फ्ब् अध्यापक सीनियर बेसिक में

क्ब् अक्टूबर ख्0क्फ् को जारी हुआ था विज्ञापन

टीईटी और शैक्षणिक मेरिट होगी आधार

पहले चरण की काउंसिलिंग पूरी, एक चौथाई भी नहीं आए डाक्यूमेंट वेरीफाई कराने

इलाहाबाद हाइ कोर्ट का आदेश है प्रक्रिया जारी रखें, नियुक्ति पत्र कोर्ट के आदेश के बाद जारी होगा

एक-एक अभ्यर्थी ने भ्भ् जिलों से कर रखा है आवेदन

सेकंड राउंड की काउंसिलिंग के लिए मेरिट के नीचे आने का इंतजाम

अब सीनियर बेसिक की बात

प्रदेश के सीनियर बेसिक स्कूलों में साइंस व मैथ्स सब्जेक्ट के खाली पड़े ख्9 हजार से अधिक सहायक टीचर्स के पदों पर नियुक्ति के लिए शासन ने काउंसलिंग शुरू करने का निर्देश दिया। था। पहले चरण में प्रदेश में कुल ख्9,फ्फ्ब् नियुक्तियों के लिए लास्ट वीक काउंसिलिंग भी हुई। मेरिट हाई होने के चलते इसमें सिर्फ ब्88फ् ने ही हिस्सा लिया। इसके बाद मेरिट क्या होगी? इस पर सरकार ने कोई फैसला ही नहीं लिया है। यह नियुक्ति भी करीब तीन साल पहले घोषित हुई थी। इसमें नया पेंच डाल दिया है प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों ने। उन्होंने हाइ कोर्ट में रिट दायर करके तत्काल प्रक्रिया रोकने की मांग की है। उनका तर्क है प्रमोशन के बाद उन्हें जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक का पद मिलता है। नए प्रावधान के तहत आर्ट सब्जेक्ट का कोटा तो सौ फीसदी रखा गया है लेकिन साइंस कोर्ट को सिर्फ भ्0 परसेंट रखा गया है। साइंस के शिक्षकों से यह अन्याय क्यों। कोर्ट ने इस रिट को नोटिस लेते हुए सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर तो रोक नहीं लगाई है लेकिन नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है।

भ्8 हजार शिक्षा मित्रों को नियमित किया जाना

प्रदेश सरकार ने ख्009 में जारी किया था विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग शुरू कराने का आदेश

अगस्त ख्0क्0 में शुरू हुई ट्रेनिंग

पहले सेमेस्टर की परीक्षा करीब एक साल बाद

चार सेमेस्टर की ट्रेनिंग लास्ट इयर अगस्त में कम्प्लीट हुई

ख्0क्ख् बैच की ट्रेनिंग अब भी पूरी नहीं, ख्8,ख्0,फ्0 अगस्त को प्रस्तावित है फाइनल एग्जाम

क्0 से ख्ख् जुलाई के बीच काउंसिलिंग कराने का शासन ने दिया है आदेश

कोर्ट में टीईटी धारक दाखिल कर चुके हैं प्रत्यावेदन, जब टीईटी जरूरी तो इनकी नियुक्ति कैसे

शिक्षा मित्रों का भला कब होगा

शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित करने की पहले बसपा सरकार ने की थी। तत्कालीन बसपा सरकार ने ख्009 में इन्हें दो साल की विशिष्ट बीटीसी ट्रेनिंग कराने का आदेश दिया था। यह आदेश जारी होने के करीब एक साल बाद ट्रेनिंग शुरू हुई। तीन चरणों में ट्रेनिंग का पैमाना यह बनाया गया कि पहले चरण में प्रदेश के प्रत्येक ब्लाक से सिर्फ 70 कैंडीडेट्स को लिया जाय। बता दें कि शिक्षा मित्रों की नियुक्ति का पैमाना इंटरमीडिएट ही था जबकि विशिष्ट बीटीसी की डिग्री के लिए उनका स्नातक होना अनिवार्य था। इसके चलते पहले चरण में सिर्फ उनको लिया गया जो पहले से ग्रेजुएट थे। ट्रेनिंग शुरू होने के साथ ही अड़ंगे भी आने लगे और पहला ही सत्र पूरा होने में करीब साढ़े तीन साल लग गए। ख्0क्ख् में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित करने का भरोसा दिलाया था। करीब दो साल तक चली लड़ाई के बाद शिक्षा मित्रों को समायोजित करने का आदेश हुआ। प्रदेश में काउंसिलिंग के लिए क्0 जुलाई से ख्0 जुलाई तक काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इलाहाबाद में काउंसिलिंग के लिए क्म् जुलाई की तिथि तय हुई है। काउंसिलिंग प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है और इसका विरोध शुरू हो गया है। मामला कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में सरकार के खिलाफ खड़े हुए बाद के वर्षो में टीईटी पास करने वाले। उनका कहना है कि जब एनसीटीई ने परिषदीय विद्यालयों में नियुक्ति का मिनिमम क्राइटेरिया टीईटी तय कर रखा है तो शिक्षा मित्रों की नियुक्ति कैसे की जा सकती है। उन्होंने इसे रोकने की मांग की है।

वर्ष ख्0क्फ् में आई थी दस हजार भर्तीयां

टीईटी के साथ बीटीसी अनिवार्य होने से पोस्ट के बराबर ही हैं आवेदन

इसी महीने शुरू हुई काउंसिलिंग

पहले चरण में दूसरे जिलों के आवेदकों को बुला लेने के बाद भी सीटों के बराबर भी नहीं हुए आवेदक

अब दूसरी मेरिट जारी होने का इंतजार

तेरा क्या होगा बीटीसी-टीईटी

करीब दो साल से अटकी बीटीसी टीईटी धारियों के लिए क्0 हजार नियुक्तियों की प्रक्रिया भी इसी महीने पूरी की जानी है। इसके लिए पिछले गुरुवार और शुक्रवार को काउंसिलिंग हुई थी। इसमें आलम यह है कि इलाहाबाद में कुल 9ब् अभ्यर्थी ही काउंसिलिंग के लिए पहुंचे। वैसे ही यहां जितने पद हैं आवेदकों की संख्या उसके बराबर ही है। इसके बाद भी सरकार ने अभी यह फैसला नहीं लिया है कि आगे क्या किया जाएगा। मेरिट गिराई जाएगी या जितने आए, उन्हें ही नियुक्ति देकर बाकी पोस्ट को वेकेंट घोषित कर दिया जाए।

Posted By: Inextlive