-चमोली जनपद के देवाल विकासखंड की रहने वाली है बसंती बिष्ट

DEHRADUN: देश के प्रतिष्ठित सम्मान में शामिल पद्मश्री सम्मान इस बार उत्तराखंड से एक मात्र जागर गायिका बसंती बिष्ट के नाम रहा। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राजभवन में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में राज्य की सुप्रसिद्ध लोक गायिका (जागर) बसंती बिष्ट का पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चयन होने पर पुष्प गुच्छ के साथ विशेष स्मृति चिन्ह देकर राज्यपाल डॉ। पॉल ने सम्मानित किया। कहा, बसंती बिष्ट का पद्मश्री अवार्ड के लिये चयन होना उत्तराखंड के सभी कलाकाराें व संपूर्ण राज्य के गर्व का अवसर है।

लोक कला संस्कृति को जिंदा रखने में आगे रही

राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में देवी-देवताओं का स्तुतियां जागर के जरिए की जाती है। इस परंपरा को जागर गायिका बसंती बिष्ट ने न सिर्फ आगे बढ़ाया, बल्कि जागर पर शोध कर उन्होंने फलक तक पहुंचाया। यही वजह रही कि उत्तराखंड की पारंपरिक लोक संस्कृति को संजोने के लिए इस साल उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। जनपद चमोली के देवाल विकासखंड की रहने वाली म्ब् वर्षीय उत्तराखंडी जागर गायिका बसंती बिष्ट की कहानी संघर्षोभरी है। उनका विवाह मात्र क्फ् साल की उम्र में ही हो गया था। मां बिरमा देवी भी जागर गाती थी। फिर क्या उन्होंने भी जागर गाना शुरु कर दिया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसमें उनके पति और परिवार ने पूरा सहयोग किया। मां नंदा के जागर को उन्होंने स्वरचित पुस्तक 'नंदा के जागर-सुफल ह्वे जाया तुम्हारी जात्रा' में संजोया।

Posted By: Inextlive