बच्चे के पिता बोले एडमिट करते वक्त एडमिशन स्लिप पर जेंडर कॉलम में स्टाफ ने मेल लिखा था। डॉक्टर बोले बच्चा सात महीने का प्री मेच्योर बेबी था जननांग स्पष्ट नहीं था इसलिए बाद में क्लियर हुआ कि वह गर्ल है...

bareilly@inext.co.in

BAREILLY: शहर के एक प्रतिष्ठित गुरुनानक चिल्ड्रेन एवं जनरल हॉस्पिटल में ट्यूजडे को हंगामा हो गया. एक दंपत्ति ने हॉस्पिटल पर बच्चा बदलने का आरोप लगा दिया. दंपत्ति का आरोप था कि उन्होंने अस्पताल में बेबी ब्वॉय एडमिट कराया था और डिस्चार्ज के वक्त उन्हें बेबी गर्ल देने की कोशिश की गई. जब बच्चे को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था, तब एडमिशन स्लिप में भी जेंडर के कॉलम में मेल लिखा गया था. वहीं, हॉस्पिटल के ओनर डॉ. मनीत सलूजा का कहना है कि सात महीने के प्री मेच्योर बेबी था, जिस वजह से उसका जननांग स्पष्ट नहीं था. बाद में क्लियर हुआ कि वह गर्ल है. जिस बच्चे को एडमिट किया गया था और उसे ही डिस्चार्ज किया. पीडि़त के परिजनों ने एसएसपी मुनिराज जी को डॉक्टर के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है.

रामपुर में पैदा हुआ था बच्चा
रामपुर जिले के रास डंडिया निवासी होरी लाल ने बताया की उनकी पत्नी ममता ने छह मई को घर के सामने स्थित 'गुरु कृपा' हॉस्पिटल में सात माह के प्री मेच्योर बेबी ब्वॉय को जन्म दिया था. जन्म के बाद बच्चे की हालत बिगड़ गई. हॉस्पिटल में नर्सरी नहीं होने के कारण 'गुरु कृपा' के डॉक्टरों ने बच्चे को हायर सेंटर रेफर कर दिया. इसके बाद उन्होंने नवजात को बरेली के प्रियदर्शनी नगर स्थित गुरुनानक चिल्ड्रेन एवं जनरल हॉस्पिटल 6 मई को एडमिट कराया. यहां नर्सरी में नवजात का इलाज चलता रहा. होरी लाल का आरोप है कि 27 मई की रात को स्टाफ ने जब डिस्चार्ज किया तो उन्हें बेबी गर्ल थमा दी गई. बेबी ब्वॉय की जगह बेबी गर्ल देख वे हैरत में पड़ गए और उसे ले जाने से इनकार कर दिया. इस पर स्टॉफ ने सुबह तक हॉस्पिटल में ही रहने और डॉक्टर्स से मिलकर बात करने की बात कही.

दोनों पक्षों में नोकझोंक
सुबह जब हॉस्पिटल के ओनर डॉक्टर संतोष सलूजा और डॉ. मनीत सलूजा आए तो परिजनों ने बेबी गर्ल लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने अपने बच्चे की मांग की. दोनों डॉक्टरों का तर्क था कि उनके हॉस्पिटल में बच्चा बदला नहीं गया है. वे वह बच्चा ही डिस्चार्ज कर रहे हैं, जिसे एडमिट किया गया था. लेकिन बच्चे के परिजन यह तर्क मानने को तैयार नहीं हुए. इस पर दोनों पक्षों में तीखी नोक-झोक भी हुई.

हर पर्चे में लिखा था मेल
परिजनों का कहना था कि जब बच्चे को इस हॉस्पिटल की नर्सरी में एडमिट किया गया था, तब एडमिशन स्लिप में बच्चे का जेंडर मेल लिखा गया था. और जब तक इलाज चला तब तक डॉक्टर्स पर्चे पर मेल ही लिखते रहे. गुस्साए परिजनों ने हॉस्पिटल के डॉक्टर्स और स्टाफ पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया.

नर्स बोली, बदल गया बच्चा
हंगामे की सूचना मिलने पर आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सत्येन्द्र सिंह सहित अन्य डॉक्टर्स भी मौके पर पहुंचे और परिजनों को समझाने का प्रयास किया. लेकिन नवजात के परिजन अपने बच्चे की मांग पर अड़े रहे. इसके बाद बच्चे की पहचान के लिए रामपुर से 'गुरु कृपा' हॉस्पिटल से उस नर्स सरा सैफी और डॉक्टर विजय गंगवार को भी बुलाया गया जिन्होंने प्रसव कराया था. नर्स का कहना था कि यह वह बच्चा नहीं है, जो उसके सामने पैदा हुआ था. सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह परिजनों को शांत कराया. दोपहर करीब दो बजे परिजन हॉस्पिटल से चले गए, लेकिन नवजात बच्ची को हॉस्पिटल में ही छोड़ गए. इसके बाद परिनजों ने एसएसपी मुनिराज जी से मिलकर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इस पर एसएसपी ने प्रेमनगर थाने के एसएचओ को मामले की जांच सौंप दी.

बेटा लेकर आया, खाली हाथ जा रहा हूं
हॉस्पिटल से निकलने के बाद होरीलाल बार-बार यही कहकर परेशान हो रहा था कि वह बेटा लेकर इलाज कराने आया था. अब उनका बेटा हॉस्पिटल में बदल दिया गया है. ऐसे में वह बेटी लेकर नहीं जाएंगे.

इलाज करने वाले डॉक्टर
प्री मेच्योर बेबी के जननांग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं. लगभग एक जैसे दिखते हैं. नौ माह के बच्चे के जननांग पूरी तरह से स्पष्ट होते हैं. हमारे हॉस्पिटल में प्री मेच्योयर बेबी 800 ग्राम का आया था. इससे उसके जननांग फीमेल जैसे थे. परिजनों ने ऑपरेटर को मेल बताया था तो उसने मेल में दर्ज कर एडमिट कर लिया. लेकिन बच्चा फीमेल ही था.

डॉ. मनीत सलूजा, एमडी, गुरुनानक चिल्ड्रेन एवं जनरल हॉस्पिटल

मैंने बेटा एडमिट कराया था. हॉस्पिटल ने बच्चा बदला है. पुलिस से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई हैं. कोर्ट में मुकदमा करूंगा ताकि मुझे न्याय मिल सके. हम तो हॉस्पिटल को पूरा बिल भी अदा कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद ऐसा क्यों किया?

होरी लाल, बच्चे के पिता

Posted By: Radhika Lala