क्रिकेट को और रोचक बनाने के लिए नए-नए प्रयोग किए जाते रहे हैं। ऐसा ही एक प्रयोग था डे-नाइट टेस्‍ट का। कई देशों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। अब बारी है भारत की। मगर भारत में होने वाले पहले डे-नाइट टेस्‍ट पर नया अड़ंगा लग गया है।


सीओए लगाना चाहता है रोकअक्टूबर में होने वाले भारत-वेस्टइंडीज के बीच डे-नाइट टेस्ट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त बीसीसीआइ की क्रिकेट प्रशासकों की समिति (सीओए) के मुखिया विनोद राय ने भारत में होने वाले पहले डे-नाइट टेस्ट पर रोक लगाने के फैसले पर अपना रुख जाहिर किया है। उन्होंने यह फैसला बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी के बोर्ड के बाकी पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर फैसले लेने की आदत के कारण किया है।क्या है रोक की वजह
राय के पत्र के बाद जवाब में अमिताभ ने अपने बचाव में हामी भरी थी। बीसीसीआइ के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि सीओए के अंतर्गत ही सबा करीम की नियुक्ति हुई थी। अब सबा के इरादे पर क्यों प्रश्न खड़ा किया जा रहा है। राय ने पांच दिनों तक भारतीय खिलाड़ियों की शारीरिक स्थिति, राज्य संघों के आर्थिक तथ्यों और प्रशासनिक व्यवस्था के साथ कई चीजों की वजह से भारत में डे-नाइट टेस्ट की योजना पर रोक लगा दी लेकिन अमिताभ वेस्टइंडीज के दौरे के समय भारत में पहला डे-नाइट टेस्ट कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने फोन और ईमेल के जरिये भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री से राय भी मांगी थी। शास्त्री इसको लेकर सकारात्मक थे।लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर गांगुली ने खड़े किए हाथबंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस लोढ़ा समिति द्वारा बीसीसीआइ में सुधार के लिए लागू की जाने वाली सिफारिशों के अमल को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। इस संबंध में सौरव गांगुली ने पत्र लिखकर बोर्ड को सूचित कर दिया है। कुछ ऐसा ही जवाब सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के अध्यक्ष मधुकर वोरा ने भी दिया है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari