पीलीभीत बाईपास, शाहजहांपुर रोड, रामपुर रोड पर चल रहे अवैध निर्माण

नोटिस जारी होने की वैधानिक कार्रवाई के बाद शुरू होता है अवैध निर्माण

BAREILLY:

केस वन - सुभाषनगर रोड पर स्थानीय निवासी राजकुमार कॉम्पलेक्स बनवा रहे हैं। सूचना पर बीडीए टीम ने बगैर नक्शे के हो रहे निर्माण कार्य को बंद करने की नोटिस जारी कर दी। फिर क्षेत्र के जेई और सुपरवाइजर संग सेटिंग होने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो गया। बीडीए वीसी की ओर से रोक लगाने के बाद भी निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है।

केस टू - बदायूं रोड करगैना के पास राजीव गुप्ता बगैर नक्शे के मैरिज हॉल का निर्माण करवा रहे थे। सूचना पर पहुंचे बीडीए के इंजीनियर्स ने फौरी तौर पर कार्रवाई करते हुए सचिव के जरिए नोटिस जारी करवा दी। फिर कुछ दिन बाद यहां निर्माण कार्य शुरू हो गया। हाल ही में बीडीए वीसी ने निर्माण चलता पाया और कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

यह केस महज बानगी भर हैं, जो बताते हैं कि बीडीए की मिलीभगत से किस तरह धीरे-धीरे अवैध शहर बसाया जा रहा है। यह हाल सिर्फ बदायूं रोड या सुभाषनगर में ही नहीं बल्कि शहर के अंदर भी धड़ल्ले से चल रहा है। बीडीए वीसी और सचिव बगैर मानक के हो रहे निर्माण कार्य रुकवाने के नोटिस जारी करते हैं। जिसके बाद अधीनस्थ कर्मचारी की डील शुरू होती है। निर्माण कार्य कराने वाले भी बीडीए के अधिकारियों को अपना रिलेटिव बताते हैं। पिछले दिनों तमाम शिकायतों पर बीडीए वीसी ने खुद ही औचक निरीक्षण किया और निर्माण कार्य रुकवाया था, जो फिर से शुरू हो गए हैं।

यूं होता है खेल

सूत्रों के मुताबिक बीडीए के काउंटर पर नक्शा, डीड और फीस जमा करते समय ही वसूली शुरू हो जाती है। काउंटर पर बैठे कर्मचारी वसूली के बाद फाइल भवन सेक्शन भेज देते हैं। यहां नक्शा और भूखंड के भौतिक सत्यापन के लिए फाइल संबंधित जोन के जेई के पास जाती है। पहले तो कुछ दिन जेई आवेदक को परेशान करते हैं। फिर एई और टाउन प्लानर से बातचीत कर नक्शा कंपाउंड करने के लिए रखकर निर्माण की मौन अनुमति दी जाती है। मोटी रकम मिलने के बाद ही नक्शा पास होता है।

इंफोर्समेंट टीम जिम्मेदार

शहर में अवैध निर्माण पर नजर रखने और इसकी रोकथाम की जिम्मेदारी बीडीए के इंफोर्समेंट टीम की है। ऐसे में अवैध निर्माण की मौन सहमति देने के बदले मिलने वाली रकम इनफोर्समेंट टीम के जेई से बीडीए के आला अधिकारियों तक बंटती है। बदायूं रोड पर अवैध निर्माण में जेई और सुपरवाइजर की मिलीभगत इसका उदाहरण है। ज्यादातर दो से तीन मंजिला कॉम्पलेक्स का ही नक्शा पास होता है। बाकी के फ्लोर मिलीभगत के चलते बना लिए जाते हैं।

कार्रवाई के नियम

अवैध निर्माण पर बीडीए उत्तर प्रदेश नगर विकास योजना 1973 की धारा 26 और 27 के तहत चालान, सुनवाई, नोटिस और ध्वस्तीकरण का आदेश दे सकता है। वहीं धारा 28 में भवन की सीलिंग का प्रावधान है। बीडीए इस नियम के तहत अवैध निर्मित भवन अथवा उसका अवैध हिस्सा सील कर सकता है। सीलिंग एरिया का सर्वेक्षण कर जुर्माना तय होता है। अगर निर्माण बीडीए के तय मानकों से अधिक है तो इसे ध्वस्त करने का भी प्रावधान है। लेकिन कमाई के आगे नियम फॉलो ही नहीं होते।

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निरीक्षण के बाद फिर से निर्माण कार्य शुरू होने की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो संबंधित एरिया के जेई और सुपरवाइजर से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। सुरेंद्र कुमार, वीसी, बीडीए

Posted By: Inextlive