अधूरी प्लानिंग से बीडीए की योजना पर प्रश्नचिह्न
स्पेशल न्यूज
- वर्षो से खाली पड़े आवास हो चुके हैं जर्जर, पहले आवंटन फिर रेनोवेशन - पूर्व में तीन बार मांग चुके आवेदन पर शहरवासियों ने नहीं किया आवेदन BAREILLY: रामगंगा आवासीय योजना को बसाने के लिए बीडीए ने चौथी बार फिर आवेदन प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन अबकी बार भी मुहिम को करारा झटका लगना तय माना जा रहा है। पिछले दो वर्षो में बीडीए ने आवासों के आवंटन के बाबत करीब 3 बार आवेदन मांगे जिसमें महज 8 आवेदन प्राप्त हुए हैं। हालांकि, बीडीए अधिकारी इस बार आवेदनों की संख्या बढ़ने की बात कह रहे हैं। दूसरी ओर, बिल्डर्स ने बीडीए की अधूरी प्लानिंग को रामगंगा आवासीय योजना को नहीं बसने का दोषी ठहराया है। आखिर क्यों नहीं बस रही रामगंगा आवासीय योजना, पढि़ए भरोसे पर सवालिया निशानवर्ष 2002 में बीडीए ने रामगंगा आवासीय योजना का जोर शोर से शुभारंभ किया। बड़ी योजना में एक अदद छत मिलने की आस के चलते करीब डेढ़ हजार लोगों ने आवेदन भी कर दिए। आवंटन धनराशि भी जमा कर दी। लेकिन किसानों का मुआवजा का मामला फंस गया। करीब 8 वर्षो तक चले किसानों और बीडीए के बीच की जंग से लोगों की गाढ़ी कमाई फंसी रही। ऐसे में 14 वर्षो से आवास की आस लगाए लोगों को विवाद सुलझने के बाद जब आवास मिलने की बारी आई तो बीडीए ने नए सर्किल रेट के आधार पर ही आवास देने की बात कही। जिसके चलते बीडीए ने विश्वसनीयता खो दी। इन 16 वर्षो में बीडीए ने दो अन्य आवासीय योजना भी बनाई पर वह फ्लॉप रहीं।
पहले आवंटन फिर संसाधन बीडीए की प्लानिंग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्षो पहले बने आवासों की हालत जर्जर हो चुकी है। जिन्हें रेनोवेट कराने के बजाय बीडीए ने पहले आवंटन कराने की शर्त रखी है। अधिकारियों ने बताया कि रामगंगा के विभिन्न आय वर्ग की कैटेगरी में करीब चार तीन सौ आवासों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इसमें ज्यादातर आवास अल्प आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग के लिए लोगों के लिए हैं। जिसकी कीमत करीब 8 लाख से 45 लाख रुपए वर्तमान सर्किल रेट के आधार पर तय की गई है। आवंटन लॉटरी विधि से होगा। आवंटन धनराशि की पहली किश्त अदा करते ही बीडीए संबंधित भवन को रेनोवेट करेगा। 31 मार्च तक आवेदन करना होगा। वजहें - शहर से करीब 10 किमी। दूर - 14 वर्षो से आवास का इंतजार - अल्प आय वर्ग को तवज्जो देना- मध्य आय वर्ग से नए सर्किल रेट मांगना
- जर्जर भवनों को बगैर संवारे आवंटन - स्कूल, हॉस्पिटल व दुकानें न होना - बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार न कराया जाना पूर्व में मांगे आवेदन - 2016 में 18 जून से 18 अगस्त तक - 2017 में 12 जनवरी से 31 मार्च तक - 2017 में 26 सितंबर से 28 नवंबर तक पूर्व में आवेदन मांगे गए थे लेकिन कुछ खास आवेदन नहीं हुए हैं। जिसकी वजह से फिर से आवेदन निकाला गया है। संभावना है कि आवेदन की संख्या बढ़ेगी। सुरेंद्र कुमार, सचिव, बीडीए बीडीए बगैर प्लानिंग के योजनाएं बनाता है, जिसकी वजह से योजनाएं फ्लॉप होती हैं। वहीं, साख पर सवालिया निशान लगने की वजह से शहरवासी दूरी बनाते हैं। राधे सिंह, मैनेजिंग डायरेक्ट, कामाख्या निर्माण मास्टर प्लान बनाने के लिए बीडीए अगर जोनल प्लान बनाए तो इसकी योजनाओं को सफल होना तय है। एक्ट में बीडीए को जोनल प्लानिंग के निर्देश हैं पर फॉलो नहीं हो रहा। धर्मेद्र गुप्ता, डायरेक्टर, डीजी इंफ्रा