न्‍यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की ने एक बार फ‍िर अपने प्रधानमंत्री पद को बरकरार रखा है. वे न्‍यूजीलैंड के लगातार तीसरे प्रधानमंत्री बनेंगे. गौरतलब है कि एक बार फ‍िर जॉन के प्रधानमंत्री बनने के पीछे कारण है कि अपने कार्यकाल में उन्‍होंने बेहतरीन विकास कार्य करवाए हैं. जॉन के न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था को संभालने में उनकी नेशनल पार्टी के तौर तरीकों को जनस्वीकृति के रूप में देखा जाएगा.

'यह जीत है मुझपर विश्वास करने वालों की'
जॉन की ने ऑकलैंड में जनसभा के दौरान बताया कि यह एक महान रात है. यह उन लोगों की जीत है जिन्होंने उन पर भरोसा बनाए रखा है. यह उन लोगों की जीत है जिन्होंने दूसरी पार्टी के बहकावे में आने से साफ मना कर दिया और जिन्हें मालूम था कि नेशनल को वोट देने का मतलब सभी न्यूजीलैंडवासियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए वोट देना है. की ने अपने उपप्रधानमंत्री बिल इंगलिशन को श्रेय दिया जिन्हें उन्होंने 'विकसित दुनिया में सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री' करार दिया है.
अपने बल पर शासन करने वाले बने पहले पीएम
देश में वर्ष 1996 में आनुपातिक मतदान प्रणाली लागू होने के बाद, इस भारी जीत के साथ ही जॉन की न्यूजीलैंड के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं जो अपने दम पर शासन कर सकेंगे. जॉन की 'नेशनल पार्टी' के मत पिछले तीनों चुनावों में लगातार बढ़े हैं.
कांटे की थी टक्कर
कांटे की टक्कर के बाद आए इस फैसले पर 53 वर्षीय नेता ने बताया कि वह इस जीत से बहुत खुश हैं. यह बहुत अच्छी रात है. उन्होंने कहा कि यह मुश्किल लड़ाई थी, लेकिन उन्हें लगता है कि लोग देख सकते हैं कि देश सही रास्ते पर है और जनता ने उन्हें तोहफा दिया है. इसके लिए वह जनता के आभारी हैं. नेशनल पार्टी ने इस बार के चुनाव में 121 संसदीय सीटों में से 61 पर अपना दाव पेश कर लिया है और जिससे अपना बहुमत बनाया है. 2011 के चुनाव में वह 59 सीटों पर ही अपना कब्जा जमाने में कामयाब हुई थी. विपक्षी दल लेबर पार्टी को महज 32 सीटें हासिल हुई हैं. सन् 1920 के बाद यह पार्टी का सबसे बेकार प्रर्दशन दिखाई दिया है. अपने भविष्य के संबंध में सवालों का सामना कर रहे लेबर नेता डेविड कुनलिफे ने बताया कि यह पार्टी को फिर से मजबूत करने का वक्त है, दोषारोपण करने का नहीं.

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Posted By: Ruchi D Sharma