- आरयू ने बीएड और मेडिकल कॉपियों में पूर्ण कोडिंग व्यवस्था लागू की

- चेकिंग के दौरान अब स्टूडेंट की पहचान करना मुश्किल

BAREILLY: आरयू से संबद्ध बीएड और मेडिकल कॉलेजेज की मनमानी अब कॉपी चेकिंग में नहीं चल पाएगी। अब तक कामचलाऊ कोडिंग व्यवस्था, जो एक प्रकार से न के बराबर थी, आरयू ने उस व्यवस्था से किनारा कर लिया है। नई व्यवस्था के तहत आरयू ने पुख्ता कोडिंग व्यवस्था लागू कर कॉलेजेज पर नकेल कसने की तैयारी की है। यह व्यवस्था ही असल में कोडिंग व्यवस्था है। जिसके तहत कॉपी चेकिंग के प्रोसीजर में लगे सभी टीचर्स और कर्मचारी स्टूडेंट की पहचान नहीं कर पाएंगे। हमेशा से ही आरयू के बीएड और मेडिकल कॉलेजेज पर यह आरोप लगते आए हैं कि वे कॉपी चेकिंग के दौरान दबाव व प्रलोभन के जरिए अपने स्टूडेंट्स को अनुचित लाभ दिलाते हैं।

कॉपी चेकिंग में होती है गड़बड़ी

बीएड और मेडिकल कॉलेजेज के स्टूडेंट्स की कॉपियों की चेकिंग में गड़बड़ी होने को प्रकरण कोई नई बात नहीं है। समय-समय पर आरयू पर नम्बर बढ़ाने के आरोप लगते आए हैं। कॉलेजेज और दबंग स्टूडेंट्स के दबाव में कर्मचारियों के साथ मिलकर परीक्षक स्टूडेंट्स को अनुचित लाभ भी देते हैं। यह तभी होता है जब कॉपी चेकिंग के दौरान उनकी पहचान उजागर हो जाती है। यही नहीं सबसे ज्यादा खेल तो प्रैक्टिकल मा‌र्क्स में किए जाते हैं। आरयू में इसको लेकर कई केसेज सामने आ चुके हैं।

स्क्रूटनी में भी होता है खेल

स्क्रूटनी में जमकर खेल किया जाता है। आरयू के मेडिकल स्टूडेंट्स के स्क्रूटनी के बाद मा‌र्क्स बढ़ने पर काफी हंगामा हो चुका है। यहां तक कि यह मसला राजभवन तक जा चुका है। जिन स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स कम आते हैं वे स्क्रूटनी में अप्लाई करते हैं। इसके बाद कर्मचारियों की मिलीभगत से स्टूडेंट्स अपने मा‌र्क्स बढ़वा लेते हैं। इस पर हंगामा तब मचा जब कई कॉलेजेज के अधिकांश स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स स्क्रूटनी में बढ़ाए गए।

कामचलाऊ थी कोडिंग

हालांकि आरयू पहले से ही अपने यहां पर कोडिंग व्यवस्था लागू करने का दावा करते आया है। लेकिन कोंिडंग किसी काम की नहीं थी। कॉपी चेकिंग के दौरान स्टूडेंट्स का नाम उजागर हो जाता था। जिसके बाद पूर्ण रूप से सही कोडिंग व्यवस्था को लागू करने की मांग उठी। यहां तक कि हाईकोर्ट भी बीएड में कोडिंग लागू करने का आदेश जारी कर चुका है।

बार कोड से लगेगी लगाम

नई कोडिंग व्यवस्था में चेकिंग के दौरान आरयू के कर्मचारी और परीक्षकों को स्टूडेंट्स की पहचान करना काफी मुश्किल होगा। इसमें बार कोड का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही कॉपियों के फ्रंट पेज पर स्टूडेंट्स का नाम नहीं है। सिर्फ रोल नम्बर ही अंकित होगा। चेकिंग के दौरान रोल नम्बर भी छिपा दिया जाता है। ऐसे में स्टूडेंट की कॉपी की पहचान बार कोड के सहारे होती है। बार कोड के सहारे ही उनको मा‌र्क्स अलॉट किए जाते हैं। आरयू ने इस बार पुख्ता रूप से कोडिंग लागू करने का दावा किया है। रजिस्ट्रार एके सिंह का कहना है कि बीएड में अब तक आंशिक रूप से कोडिंग लागू थी। लेकिन इस बार से पूर्ण रूप से कोडिंग लागू कर दी गई है। जिससे स्टूडेंट की पहचान करना नामुमकिन होगा। मेडिकल की कॉपियों में भी पूर्ण कोडिंग की व्यवस्था की गई है।

Posted By: Inextlive