DOR game in medical college

मोहित शर्मा

आई एक्सक्लूसिव

-मेडिकल कॉलेज में बना रेफर हॉस्पिटल, टरकाए जा रहे मरीज

-हाईटेक आईसीयू का भी मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ

Meerut। एक दिन में कुल 38 भर्ती होने वाले मरीजों में से 5 की डेथ हो गई। 17 को रेफर कर दिया गया। यह आंकड़ा कहीं और का नहीं, बल्कि मेडिकल कॉलेज की उस इमरजेंसी जिसको हाईटेक और आधुनिक सुविधाओं से लैस बताकर मरीजों के बेहतर इलाज का दम भरा जाता है। मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर्स और कर्मचारियों ने न केवल उसको रेफर हॉस्पिटल के रूप में तब्दील कर दिया है, बल्कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स की पो बारह भी कर दी है।

क्या है मामला

अपनी असुविधाओं और तमाम हो-हल्ले के मशहूर मेडिकल कॉलेज का एक चौंकाने वाला कारनामा समाने आया है। ईलाज के नाम पर यहां से न केवल मरीजों को टरकाया जा रहा है, बल्कि कागजी पेट भरने के लिए भर्ती के समय ही मरीजों से डिस्चार्ज एग्रीमेंट भी साइन कराया जा रहा है। नतीजा यह है कि मेडिकल से डिस्चार्ज मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रुख करना पड़ रहा है।

एडमिशन और डिस्चार्ज में खेल

दरअसल, क्रिटिकल कंडीशन में इमरजेंसी पहुंच रहे मरीजों से मेडिकल कॉलेज भर्ती के समय ही डीओपीआर (डिस्चार्ज ऑन पेशेंट रिक्वेस्ट) एग्रीमेंट साइन कराता है। जिसके बाद जरूरत पड़ने पर मरीज को वेंटीलेटर अलॉट न कर उसके सामने स्टॉफ और असुविधाओं का रोना रोया जाता है। यही नहीं मरीज को वहां से रेफर भी कर दिया जाता है। जिसके बाद ऑफिशियल रजिस्टर में मरीज की एंट्री के सामने (लामा लिव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइज) या डीओपीआर अंकित कर दिया जाता है।

मशीनों का यूज नहीं

पिछले दिनों में शासन की ओर से मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में 405 लाख की कीमत के 15 हाईटेक वेंटीलेटर स्थापित किए गए थे। इनमें से प्रत्येक वेंटीलेटर की कीमत 27 लाख के आसपास है। इसके अलावा आईसीयू में तीन शिफ्टों के हिसाब से 12 कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है। बावजूद इसके इमरजेंसी के समय असुविधाओं और स्टॉफ का रोना रोकर मरीज को टरका दिया जाता है।

यहां है खेल

असल मेडिकल की इस चौंकाने वाली कार्यप्रणाली के पीछे बहुत बड़ा खेल छिपा है। मेडिकल में तैनात कुछ डॉक्टर्स और कर्मचारी प्राइवेट हॉस्पिटल्स के एजेंट के रूप में काम करते हैं। यही वजह है कि शहर के कुछ चुनिंदा प्राइवेट हॉस्पिटल्स से सांठगांठ कर मेडिकल क्रिटिकल केयर में पहुंचने वाले मरीजों से पहले ही डीओपीआर साइन करा लिया जाता है। जिसके बाद मरीज या उसके परिजनों को कोई प्राइवेट कॉलेज सजेस्ट कर वहां से टरका दिया जाता है।

आईसीयू इंचार्ज की ओर से बरती जा रही इस तरह की अनियमितताएं लगातार सामने आ रही हैं। जबकि आईसीयू में जरूरत के हिसाब से सारी सुविधाएं मौजूद हैं। सरकार की ओर से आए हाईटेक वेंटीलेटर्स भी लगाए हैं। इस संबंध में कार्रवाई के लिए संस्तुति की जाएगी।

-डॉ। नितिन यादव, आईएमओ मेडिकल कॉलेज

आईसीयू में अटेंडट्स की भारी कमी है। मैं सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहा हूं। मेरे द्वारा कोई मरीज रेफर नहीं किया जाता है। आईसीयू में मरीज मेरे बजाए किसी जनरल सर्जन या फिजिशयन के अंडर में भर्ती किया जाता है।

-डॉ। सुभाष दाहिया, आईसीयू इंचार्ज

Posted By: Inextlive