बॉक्स ऑफिस पर कोविड के कारण कोई भी फिल्म थियेटर में रिलीज नहीं हो पा रही थीं। ऐसे में अक्षय कुमार की बेल बॉटम अब जाकर दर्शकों के सामने हैं। ऐसे में निर्देशकों निर्माताओं की उम्मीदें बढ़ी हैं। अक्षय कुमार और वासु भगनानी की टीम ने एक बड़ा साहस दिखाया है महाराष्ट्र में फिल्म न रिलीज होने के बावजूद भारत के बाकी राज्यों में फिल्म की रिलीज का जिम्मा उठाया है। जाहिर है इससे थियेटर ओनर्स का भी हौसला बढ़ेगा और फिल्म इंडस्ट्री पर जो काले बादल छाए हुए हैं वह जल्द ही छटने लगेंगे।

फिल्म : बेल बॉटम
कलाकार : अक्षय कुमार, लारा दत्ता, आदिल हुसैन, वानी कपूर, हुमा कुरैशी
निर्देशक : रंजीत एम तिवारी
रेटिंग : तीन स्टार

बहरहाल आपको बता दें कि बेल बॉटम एक रॉ एजेंट की कहानी है। यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में, जब भारत का एक विमान हाई जैक हुआ और पाकिस्तान की आई एस आई संगठन ने पाकिस्तानी हुक्मरानों के साथ मिल कर, भारत को घुटने टेकने पर और हर बार आतंकियों के रियाह करने की शर्तें रखीं, उस वक़्त एक रॉ एजेंट ने अपनी दिमागी खेल से सबको मात किया था। पढ़ें पूरा रिव्यू

क्या है कहानी
कहानी अंशुल मल्होत्रा (अक्षय कुमार) की है। वह एक आम आदमी है, जो अपनी माँ से प्यार करता है। उसे बड़ा झटका लगता है, जब उसकी माँ हाईजैक किये गए विमान में मृत घोषित की जाती है। यहाँ से वह रॉ में दाखिल होता है। वह शतरंज का माहिर खिलाड़ी है, तेज तर्रार है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के सामने बड़ी चुनौती है। फिर से एक विमान हाईजैक है। उसकी डिमांड है कि उसके आतंकवादी दोस्तों को रियाह कीजिये। हाईजैक का पूरा मास्टर माइंड पाकिस्तान की आतंकवादी संगठन है। अंशुल उर्फ़ बेल बॉटम तय करता है कि वह अपने मुल्क के लोगों को भी बचाएगा और हाई जैकर को भी पकड़ेगा। यह पूरा खेल बेल बॉटम रचता है। बेल बॉटम के मास्टर माइंड के सामने क्या आतंकवादियों का मास्टर माइंड ध्वस्त होगा? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। कहानी में आगे क्या होगा, इसकी उत्सुकता लगातार बनी रहती है।

क्या है अच्छा
फिल्म का क्लाइमेक्स जबरदस्त है। रोमांच बना रहता है पूरी फिल्म में। इंदिरा गाँधी के किरदार में लारा दत्ता का काम बेस्ट है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। रॉ एजेंट्स अपने देश के लिए काफी कुछ करते हैं, लेकिन उनकी कहानियां अनसंग रह जाती हैं। बेल बॉटम जैसे विषय ऐसे अनसंग हीरोज की वीरता को सलाम करती है। इट्स नॉट ओवर, टिल इट्स ओवर जैसे कुछ दिलचस्प डायलॉग हैं।

क्या है बुरा
फिल्म कहीं-कहीं बेबी की याद दिलाती है, वानी कपूर और हुमा कुरैशी के किरदार को और अधिक विस्तार किया जा सकता था। उनके किरदार के साथ एक्सपेरिमेंट हो सकता था।

अदाकारी
अक्षय कुमार ने रॉ एजेंट के रूप में रुआब, टशन और स्वैग अच्छा दिखाया है। इंदिरा गाँधी के रूप में लारा दत्ता खूब इम्प्रेस करती हैं, उनके लुक्स के साथ-साथ उनका बॉडी लैंग्वेज भी शानदार है। हुमा कुरैशी के लिए सीमित अवसर थे। वानी कपूर ने सीमित स्पेस में अच्छा किया है। आदिल हुसैन ने सशक्त अभिनय किया है।

Review by: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari