- बेली हॉस्पिटल की होम्योपैथिक डिस्पेंसरी में दवाओं का टोटा

- सीजनल बीमारियों की दवाएं नहीं मिलने से परेशान हो रहे मरीज

ALLAHABAD: एलोपैथी के जमाने में होम्योपैथिक चिकित्सा व्यवस्था सरकारी सौतेलेपन का शिकार हो रही है। सरकार ने क्लीनिक तो बना दी है लेकिन मरीजों को राहत देने वाली दवाएं यहां मौजूद नहीं हैं। जीता-जागता एग्जाम्पल बेली हॉस्पिटल कैंपस में बनी होम्योपैथिक क्लीनिक है। एक ओर इस हॉस्पिटल में अंग्रेजी दवाएं तो भरपूर मात्रा में मौजूद हैं तो दूसरी ओर होम्योपैथी क्लीनिक में दवाओं का टोटा बना हुआ है। जिससे रोजाना आने वाले सैकड़ों मरीजों को निराश होकर वापस लौटना पड़ता है।

डिमांड के अनुसार नहीं आतीं दवाएं

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से विश्वास करने वालों को बेली हॉस्पिटल आने पर निराशा हाथ लग रही है। अव्वल तो यहां की क्लीनिक में दवाएं मौजूद नहीं है और जो हैं वह यूजलेस हैं। यहां तैनात डॉक्टर की मानें तो रोजाना दो से तीन सौ मरीज यहां आते हैं और इनमें से अधिकतर सीजनल बीमारियों के होते हैं, जिनकी दवाएं नहीं होने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एग्जाम्पल के तौर पर सर्दी-जुकाम-बुखार के लिए उपयोग होने वाली खास दवाओं का मांगने के बाद सप्लाई नहीं की जा रही है। जिनमें ब्रनिया रस्टॉक, एलियम सीका, एसिड फास, स्टेरियस आर आदि दवाओं की जबरदस्त डिमांड है।

क्या करें, बाहर से खरीदने पर मजबूर हैं

सोमवार को क्लीनिक में दिखाने पहुंचे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र संदीप और वैभव को दवाएं नहीं मिलीं तो उन्हें मजबूरन बाजार से खरीदना पड़ा। उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने जो दवाएं लिखी थीं वह स्टोर में मौजूद नहीं थीं। इसलिए ऐसा करना पड़ा। इसी तरह राजापुर की रहने वाली सविता को भी बाजार से दवाएं लेनी पड़ी। डा। राजेंद्र केसरवानी ने बताया हर साल दवाओं की डिमांड लिस्ट सौंपी जाती है लेकिन इसकी जगह दूसरी दवाएं सप्लाई की जाती हैं। इनसे मरीजों को राहत नहीं मिल पाती। कुछ दवाएं डॉक्टर खुद अपनी ओर से लेकर मरीजों को उपलब्ध करा रहे हैं।

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अफसरों को नहीं दिखती होम्योपैथी क्लीनिक

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि हर महीने बेली हॉस्पिटल का निरीक्षण प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जाता है। स्टोर में रखी दवाओं का लेखा-जोखा पूछने के साथ मरीजों को बाहर से दवाएं नहीं खरीदने की हिदायत दी जाती है। बावजूद इसके इसी कैंपस में मौजूद होम्योपैथिक क्लीनिक में दवाओं का टोटा इन अधिकारियों को नजर नहीं आता है। ये भी नहीं पूछा जाता कि मरीजों को दवाएं मिल रही हैं या नहीं।

बेली हॉस्पिटल में स्थित होम्योपैथी क्लीनिक हमारे कंट्रोल में नहीं है। हमने उन्हें केवल अपना कैंपस प्रोवाइड कराया है। अब आपने बताया है तो वहां मौजूद दवाओं की जानकारी लेकर इस संबंध में शासन से बात की जाएगी।

डॉ। यूसी द्विवेदी, सीएमएस, बेली हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive