यात्रीगण अपने जान-माल की सुरक्षा स्वयं करें
- पर्याप्त जवान नहंीं है आरपीएफ और जीआरपीएफ के पास
- नहीं होती है सभी गाडि़यों का एस्कार्ट PATNA : रेल में बढ़ते क्राइम को रोकने के लिए ईसीआर की ओर से कई प्रयास किए गए। ऑन बोर्ड एफआईआर, इमरजेंसी नंबर सहित कई अन्य प्रयास किए गए। बावजूद इसके ट्रेनों में घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इसी हफ्प्ते बक्सर के पास ट्रेन में घुसकर एक पैसेंजर को अपराधियों ने गोली मार दी। वैसे तो जीआरपी और आरपीएफ बार बार यह दावा करती है कि पैसेंजर को पूरी सुरक्षा दी जा रही है, लेकिन हकीकत इससे ठीक उलट है। नहीं है पर्याप्त सुरक्षा बलपटना जंक्शन से होकर हर रोज ख्भ्0 से अधिक गाडि़यां गुजरती हैं। ये गाडि़यां पटना मुगलसराय रूट और पटना झाझा रूट से आती जाती हैं। इनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी जीआरपी और आरपीएफ दोनों की होती है। लेकिन आज तक दानापुर मंडल यह फिक्स ही नहीं कर सका है कि कितनी गाडि़यों को रोज एस्कार्ट किया जायेगा। कितनी गाडि़यां आरपीएफ एस्कार्ट करेगी और कितनी गाडि़यों को आरपीएफ एस्कार्ट करेगी यह सब निर्भर करता है उपलब्ध जवानों की संख्या पर।
सभी गाडि़यों में नहीं होता एस्कार्टपटना होकर ख्भ्0 से अधिक गाडि़यां हर रोज गुजरती हैं, लेकिन हर गाडि़यों में जीआरपी और आरपीएफ सुरक्षा दे पाने में सक्षम ही नहीं है। यह आज की बात नहंीं है वर्षो से जीआरपी और आरपीएफ जवानों की कमी से जूझ रहा है। आंकड़ों की मानें तो आरपीएफ तकरीबन 80 से क्00 गाडि़यों में एस्कार्ट करती है, लेकिन यह फिक्स नहीं है कि किन किन गाडि़यों में एस्कार्ट होगा। यह सब निर्भर करता है जवानों की संख्या पर। आरपीएफ के एक आधिकरी कहते हैं कि एक ही गाड़ी में हर रोज एस्कार्ट पार्टी को नहीं भेजा जा सकता है। जवानों की कमी है। वहंीं जीआरपी क्ख्म् गाडि़यों में एस्कार्ट करती है। मालूम हो कि क्भ्0 आरपीएफ के जवानों को एस्कार्ट पार्टी में लगाया गया है, लेकिन इतने ही और जवानों की आवश्यकता है।