भाई-बहन के पवित्र स्नेह व प्रेम का प्रतीक भैया दूज माना जाता है। कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यमुना स्नान व यम की पूजा का भी विधान है।


ऐसी मान्यता है कि बहनों द्वारा मनाया जाने वाला यह पर्व भाइयों को दीर्घायु दिलाता है। इस दिन यमुना स्नान और यमपूजा का भी विधान है। इस दिन भाई को बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार भाई अपनी बहन से बड़ा है तो मिठाई के बाद पान का सेवन करना चाहिए। इससे जीवन में किसी तरह की दुर्घटना नहीं होगी। इस दिन गणेश जी, यम, यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों का पूजन करें। कुछ खास मंत्रों के माध्यम से यमराज की पूजा करने का विधान है। बहन द्वारा की गई पूजा से भइयों को दीर्घायु मिलती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन चचेरी, ममेरी व मुंहबोली बहनों के घर जाकर भी भाई तिलक करा सकते हैं।यमराज का पूजन करने का विधान है


शास्त्रों के अनुसार यह भी संभव हो तो अवश्य करें। गाय, नदी आदि का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ करके भोजन करना चाहिए। इसी दिन यमुना जी ने अपने भाई यमराज को भोजन कराया था। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यही कारण है कि यमराज और यमुना के पूजन का विधान है।बुरे कर्मों से क्षमा मिलती है तो नर्क का फल नहीं भोगना पड़ता

भगवान चित्रगुप्त अच्छा या बुरा कर्म करने पर दण्ड व पुरस्कार का हिसाब-किताब रखने वाले देव हैं। इनके हाथों में कर्म की किताब है कलम और दवात भी है। चित्रगुप्त एक कुशल लेखक भी हैं। भगवान चित्रगुप्त की लेखनी के अनुसार ही मनुष्य को न्याय मिलता है। यम द्वितीया यानी भाईदूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है। इस दिन उनकी मूर्ति स्थापित करके उनके समक्ष कलम, किताब, लिखने-पढ़ने संबंधी सामग्री फल-फूल, अक्षत, कुमकुम, मिष्ठान आदि से पूजन करके जानें-अनजानें में हुए अपराधों के लिए क्षमा भी मांगी जाती है। बुरे कर्मों के लिए क्षमा मांगने से नर्क का फल नहीं भोगना पड़ता है।  -पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma