आप पंजाब जाएं और फुल गिलास लस्सी न पिएं ऐसा कैसे हो सकता है पर उसके बाद फिर से उसी गिलास में उतनी ही लस्सी और पिला दी जाए तो 'स्यापा' होगा ही क्योंकि किसी भी अच्छी चीज की अति यानी 'ओवरडोज' अच्छी नहीं होती। डायरेक्टर स्नेहा तौरानी की फिल्म 'भंगड़ा पा ले' ऐसी ही अति है भांगड़ा डांस को लेके जिसे देखते हुए आप इस डांस को एन्जॉय नहीं करेंगे बल्कि यह आपको टॉर्चर लगेगा।


Bhangra Paa LeRating: 1 Cast: Sunny Kaushal, Rukshar Dhillon, Shriya PilgaonkarDirector: Sneha Tauraniकहानी
कहानी? अच्छा वो भी थी क्या? उसे कहानी कहना दर्शकों के साथ फ्रॉड ही होगा? कहानी के नाम पर हर दूसरे सीन में सिर्फ भांगड़ा, वोदका के बेतुके बोल वाले गाने और ठूंसा हुआ म्यूजिक मौजूद है। बेकार का मेलोड्रामा है और फोर्स की गई लव स्टोरी है। ऐसा लग रहा है कि डायरेक्टर कन्फ्यूज्ड थीं कि इसको फिल्म बनाया जाए या रिएलिटी शो या फिर ढाई घंटे का भांगड़ा टूर्नामेंट। फिल्म में दो दौर की कहानी है। जग्गी (सनी कौशल) को लंदन भांगड़ा वर्ल्ड कम्पीटिशन जीतना है, सिम्मी (रुक्सार ढिल्लों) का भी वही सपना है। जग्गी, सिम्मी पहले दोस्त बनते हैं, फिर कम्पटीटर। दोनों का ईगो क्लैश है यानी प्यार में तकरार वाली लव स्टोरी का स्यापा है। थोड़ा फैमिली ड्रामा है और फिर हैप्पी एंडिंग। 1944 के एक फौजी की भी लव स्टेारी का बोरिंग फ्लैशबैक है। सब भांगड़ा कर रहे हैं, लेकिन लॉजिक क्या है, किसी को नहीं पता। कहानी एकदम जीरो है। क्या लगा बढिया?


फिल्म की फील यूथफुल है। आर्टिस्ट फ्रेश हैं। दोनों की एनर्जी कुछ सीन्स के अलावा अच्छी है। इसके अलावा, 'प्रोमोशन गिमिक' के तौर पर करण अर्जुन का हिट गाना 'भंगड़ा पा ले' फिल्म में रिलैक्सिंग टैबलेट का काम करता है। इसके अलावा बढिया कम, बेकार चीजें ज्यादा हैं।

क्या पसंद नहीं आया?बार-बार भांगड़ा स्टेप्स देखते हुए समझ ही नहीं आ रहा था कि फिल्म देखने आए हैं या किसी डांस रियलिटी शो का ऑडियंस। इतने ज्यादा भांगड़ा सीन्स देखकर थिएटर से निकलने के बाद भी ढोल कानों में गूंज रहे थे। भांगड़ा के अलावा पंजाब का कोई फील नहीं है इस फिल्म में। थोड़े बहुत 'लिंगो' जरूर इस्तेमाल हुए हैं, मगर वे भी बोरिंग हैं। दो दौर की कहानी का मिक्सचर बन गया है, फिर न तो यह डांस फिल्म रह गई और न लव स्टोरी।एक्टिंगपंजाबी कुड़ी के तौर पर रुक्सार ने चंगा काम किया है, वह सनी पर भारी पड़ी हैं। सनी डबल रोल में हैं और कुछ मौकों पर कमाल लगे हैं जबकि कुछ जगह उनकी परफॉर्मेंस बहुत थकाऊ और रिपिटेटिव है। श्रिया पिलगांवकर ने कम सीन्स में अपना बेस्ट देने की कोशिश की है। कुल मिलाकर सनी को अपनी अगली फिल्म में और मेहनत करनी होगी। रुक्सार को और मौके मिलेंगे।फाइनल वर्डिक्ट


फिल्म नए एक्टर्स को लेकर बनी है। अगर दमदार होती तो ऑडियंस पसंद करती, लेकिन फिल्म कमजोर है, सो इसकी कामयाबी पर डाउट है।बॉक्स ऑफिस प्रीडिक्शन: 15 करोड़ रुपए.features@inext.co.in

Posted By: Molly Seth