तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान संघों द्वारा बुलाए गए 'भारत बंद' के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को गाजीपुर सीमा से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग -24 के दोनों कैरिजवे को बंद कर दिया। विरोध कर रहे यूनियनों के एक समर्थक संयुक्त किसान मोर्चा ने बंद का आह्वान किया है।

नई दिल्ली (पीटीआई / एएनआई)। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बुलाए गए भारत बंद के तहत कई जगहों पर सड़क व रेलवे ट्रैक जाम किए जा रहे हैं। भारत बंद के आह्वान पर किसान प्रदर्शनकारियों ने गाजीपुर बॉर्डर जाम किया। प्रदर्शनकारियों ने अमृतसर-दिल्ली रेलवे ट्रैक जाम किया। किसानों ने भुवनेश्वर में ट्रेड यूनियन ने रेलवे ट्रैक ब्लॉक किया। वहीं इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि हमारे आंदोलन को लगभग चार महीने पूरे होने जा रहे हैं। भारत बंद में हमें लोगों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर का सहयोग मिल रहा है। इससे सरकार को संदेश जाएगा। हम वार्ता के लिए 24 घंटे तैयार हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में शांति बनाए रखने के लिए गहन गश्त होगी
भारत बंद को देखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एक ट्वीट में कहा, "गाजीपुर बॉर्डर NH-24 (दोनों कैरिजवे) पर ट्रैफिक मूवमेंट बंद है। कैरिजवे का एक तरफ का हिस्सा पहले 15 मार्च को यातायात के लिए खोला गया था। हालांकि किसानों का विरोध शुरू होने के बाद से गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ जाने वाला रास्ता बंद है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि बंद को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में शांति बनाए रखने के लिए गहन गश्त होगी। भारत बंद के दौरान सभी पुलिस जिलों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होंगे।

सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर चार महीने से डेरा डाले हुए किसान
चिन्मय बिस्वाल ने कहा, गश्त करने वाले कर्मचारी दिन भर अपने क्षेत्र में घूमते रहेंगे और उनका ध्यान व्यस्त बाजारों में शांति बनाए रखने पर होगा। किसान नेताओं ने कहा था कि देशव्यापी बंद सुबह 6 बजे शुरू होगा और शाम 6 बजे तक लागू रहेगा। किसान मोर्चा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में भी बंद मनाया जाएगा। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान, सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर चार महीने से डेरा डाले हुए हैं। तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद करने और अपनी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।

Posted By: Shweta Mishra