भारतीय प्रेस परिषद के चेयरमैन मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि क्रिकेटरों और फ़िल्मी सितारों को भारत रत्न देना इस सम्मान का मज़ाक उड़ाना होगा क्योंकि इन लोगों का कोई 'सामाजिक सरोकार' नहीं होता.

क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और हॉकी के महान खिलाड़ी ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग पर काटजू ने कहा, "लोग क्रिकेटर और फ़िल्मी सितारों को भारत रत्न देने के बारे में बात कर रहे हैं। यह हमारे गिरे हुए सांस्कृतिक स्तर को दर्शाता है."
उन्होंने कहा, "हम लोग अपने असली नायकों को नज़रंदाज़ करते हैं। आज हमारा देश एक ऐसे पड़ाव पर है जब हमें उसे दिशा देने वाले व्यक्तियों की ज़रुरत है."

ग़ौरतलब है कि भारत सरकार ने कुछ ही दिन पहले भारत रत्न सम्मान की नियमावली में बदलाव करते हुए सचिन तेंदुलकर और मेजर ध्यानचंद जैसे खिलाड़ियों को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए जाने का रास्ता साफ़ कर दिया था.इससे पहले केवल कला, साहित्य, विज्ञान और लोकसेवा के क्षेत्र में ही यह सम्मान दिया जाता था।

'ग़ालिब और शरत चंद्र महान'

साल 2011 के अप्रैल महीने में जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने उर्दू के प्रसिद्ध शायर मिर्ज़ा गा़लिब को भारत रत्न से सम्मानित करने की सलाह देते हुए कहा था कि ‘इस पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए उनसे बेहतर कोई नहीं है’।

मंगलवार को उन्होंने इस बात को याद दिलाते हुए कहा कि अब उनकी सलाह की निंदा हो रही है। उन्होंने कहा, "मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के बेहतरीन शायरों में से एक रहे हैं और शरत चंद्र ने जातिवाद, अंधविश्वासों और महिलाओं के शोषण के खिलाफ बातें कहीं थीं."

कुछ ही महीने पहले मार्कंडेय काटजू ने उर्दू प्रेमियों से कहा था कि वे प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर उनसे मिर्ज़ा ग़ालिब को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की अपील करें।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने कहा कि जब उन्होने इन दो नामचीन हस्तियों के नाम भारत रत्न के लिए सुझाए थे तब उनकी आलोचना भी की गई थी।

हालांकि उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि उनकी उस अपील को लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार, सलमान खुर्शीद और मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई क़ुरैशी का समर्थन भी मिला था।

Posted By: Inextlive