PATNA: चैत्र शुक्ल सप्तमी को छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास संपन्न कर विधिपूर्वक पारण की। कोरोना महामारी के कारण देश में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है.कम संसाधनों के में ही व्रतियों ने इस अनुष्ठान को पूरा किया। गंगा, घाट,नदी, तालाब, पोखर आदि पर जाना वर्जित था। इसलिए उन्होंने अपने घर के छत या बालकनी में भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य और उनसे प्रार्थना करी कि इस महामारी से हम सब को जल्द निजात मिले। आचार्य राकेश झा ने बताया कि इस बार छठ महापर्व पर ग्रह गोचर का दुर्लभ संयोग बना था। सायंकालीन अ‌र्घ्य में व्रतियों ने सर्वार्थसिद्धि योग में अस्ताचलगामी सूर्य देवता को पहला अ‌र्घ्य दिया। वही चैत्र शुक्ल सप्तमी को द्विपुष्कर योग में व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर इस चार दिवसीय अनुष्ठान को समापन किया। छठ महापर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र और दूसरा कार्तिक मास में। और इसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है .यह पर्व ऋग्वैदिक काल से चला आ रहा है। व्रती अपने घर परिवार की सुख समृद्धि,बाल बच्चों की उम्र और आरोग्य के लिए यह व्रत करती है। व्रत से पारिवारिक सुख समृद्धि तथा उन्नति मिलती है।

Posted By: Inextlive