RANCHI : लोअर बाजार के बहू बाजार से भोपाल पुलिस के हत्थे चढ़ा साइबर ठग संतोष यादव कमीशन के लिए इस धंधे से जुड़ा था। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि ऑनलाइन ठगी वाले मामलों में ओटीपी नंबर के जरिए उसका काम रांची के बड़े-बड़े शॉप, शोरूम अथवा मॉल में खरीदारी करना रहता था। इसके बाद गैंग के सरगना को खरीदारी किए जाने की जानकारी देता था। इसके बाद खरीदे गए सामानों की बिक्री दूसरे इलाके में कर दी जाती थी। इधर, भोपाल पुलिस के साइबर इंस्पेक्टर एल सिंह राजपूत ने दोनों साइबर ठग को कोर्ट में पेश किया, फिर प्रोडक्शन वारंट लेकर भोपाल के लिए रवाना हो गई।

ठगी की प्रॉपर ट्रेनिंग

पुलिस की गिरफ्त में आए दूसरे साइबर क्रिमिनल ज्योतिष मंडल ने बताया कि उन्हें साइबर ठगी की प्रॉपर ट्रेनिंग दी गई थी। इसके बाद मोबाइल नंबर्स का सिरीज जुगाड़ कर एक-एक को कॉल करते थे। इस दौरान जब यह पता चल जाता था कि यह किसी सरकारी ऑफिस का नंबर है तो उसे दोबारा कॉल नहीं करते थे। इस दौरान जो ग्राहक झांसे में आ जाते थे, उनके एटीएम का पासवर्ड लेकर अकाउंट से रुपए साफ कर देते थे।

बेरोजगारी ने बनाया साइबर ठग

जमुई के रहने वाले संतोष ने बताया कि वह बेरोजगार था। काफी प्रयास के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही थी। इसी दौरान जरमुंडी में साइबर क्रिमिनल अरुण मंडल से मुलाकात हुई। बातचीत के दौैरान उसने मैसेंजर की नौकरी देने का आश्वासन दिया। इस तरह से साइबर क्रिमिनल्स के गैंग में शामिल हो गया।

रिमोट से खुलता है घरों का गेट

संतोष और ज्योतिष ने पुलिस को जो बताया उसके मुताबिक, ज्यादातर साइबर क्रिमिनल ने अपने घरों को सुरक्षित रखने के लिए कई उपाय किए हैं। उनका घर तो किलानुमा है ही, साथ में मेन गेट रिमोट के जरिए खुलता है। इसका मकसद सिर्फ पुलिस से बचना होता है। इतना ही नहीं, अगर पुलिस इलाके में छापेमारी के लिए आती है तो उनपर पत्थर बरसाए जाते हैं, ताकि वे आगे नहीं बढ़ सकें।

Posted By: Inextlive