बीएचयू में 'वेदना का आयुर्वेद के द्वारा चिकित्सा' विषयक 21 दिवसीय वर्कशॉप का शुभारंभ

VARANASI

डॉक्टर्स को मरीज की संपूर्ण चिकित्सा करनी चाहिए न कि लाक्षणिक। वर्ष 2010 के बाद किसी नयी एंटी बायोटिक की खोज नहीं हुई जो चिन्ताजनक है। यह विचार आईएमएस बीएचयू के डायरेक्टर प्रो। वीके शुक्ला ने सोमवार को व्यक्त किया। वह आयुर्वेद फैकल्टी के संज्ञाहरण विभाग की ओर से 'वेदना का आयुर्वेद के द्वारा चिकित्सा' विषयक 21 दिवसीय वर्कशॉप के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। धनवंतरी कक्ष में हुए उन्होंने कहा कि हमें आयुर्वेद के सिद्धांतों पर अविष्कार करते हुये मानवता की सेवा के नये रास्ते अपनाने होंगे। यह एक प्रमाणित सत्य है कि अगली सदी आयुर्वेदीय चिकित्सा पद्धति की होगी।

भ्रांति को दूर करना होगा

प्रो। एसबी पाण्डेय मेमोरियल स्पेशल लेक्चर में रसशास्त्र डिपार्टमेंट के हेड प्रो। आनंद चौधरी ने कहा कि हमें इस भ्रान्ति को दूर करना होगा कि आयुर्वेदीय औषधियां वेदना नाशक नहीं होती हैं। उन्होंने लगभग 60 आयुर्वेदीय औषधियों के बारे में कहा कि हमें मॉडर्न मेडिसिन साइंस का सहयोग लेते हुए साइड इफेक्ट से मुक्त आयुर्वेदीय वेदना शामक स्थापित करना होगा। फैकल्टी डीन प्रो। यामिनी भूषण त्रिपाठी ने पेप्टाइड पर चर्चा की। एसएस हॉस्पिटल के एमएस प्रो। वीएन मिश्रा ने कहा कि चिकित्सा का नोबल भारत में तभी आ सकता है जब आयुर्वेद और मॉडर्न मेडिसिन मिलकर कार्य करेंगे। हेड प्रो। डीएन पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रो। केके पाण्डेय ने वर्कशॉप की रूपरेखा प्रस्तुत की। संचालन डॉ। पीके भारती एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ। आरके जैसवाल ने किया।

Posted By: Inextlive