- बीएचयू में 'आयुर्वेद में पंचगव्य चिकित्सा' विषयक सेमिनार का हुआ आयोजन

VARANASI

पंचगव्य कई सूक्ष्म जीवों, जिवाणुओं, कवक, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, एमिनो एसिड, विटामिन, एंजाइम और ज्ञात अज्ञात विकास कारकों को बढ़ावा देने वाले तत्वों का एक जीवित मिश्रण है। ये कहें कि यह औषधियों का खजाना है। यह विचार शनिवार को अखिल भारतीय गो सेवा प्रमुख अजीत महापात्र ने आयुर्वेद फैकल्टी बीएचयू के धनवंतरी भवन में व्यक्त किये। वह आयुर्वेद में पंचगव्य चिकित्सा विषयक सेमिनार में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गाय को हिन्दू संस्कृति में गोमाता माना जाता है। जो अंत्यत महत्व का है क्योंकि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण में भी सहायक है। गाय के पालन से व्यक्ति में सामाजिक और मानसिक परिवर्तन दोनों ही होते हैं। इसके पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य के साथ अजीत महापात्रा ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। आयुर्वेद संकाय के डीन प्रो यामिनी भूषण त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में कानपुर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएस तोमर ने भी अपने विचार रखे। स्वागत प्रो जेएस त्रिपाठी ने किया। सेमिनार का आयोजन प्रो ओपी सिंह व डॉ जय प्रकाश सिंह के देखरेख में हुआ।

Posted By: Inextlive