- SS hospital, BHU में चल रहा स्ट्राइक का मुद्दा बदला, अबब AIIMS की मांग

- दिन भर दर-दर भटकते रहे serious patients, इलाज के अभाव में दो ने तोड़ा दम

- Resident doctors के साथ seniors ने भी अलापा एम्स का राग

- हड़ताली residents हुए उपद्रवी, मीडियाकर्मी की बाइक को बनाया निशाना

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: हालिया कुछ महीनों के अंदर बीएचयू के डॉक्टर्स की हरकतों पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि उन्हें बस हड़ताल का बहाना चाहिए। रविवार को वे अपने साथ मारपीट करने वालों की गिरफ्तारी के लिए स्ट्राइक पर थे। जबकि सोमवार को उनके आंदोलन में अचानक ट्विस्ट आ गया। आंदोलन करने वाले 'एम्स-एम्स' का राग अलापने लगे। हैरत तो तब हुई जब सीनियर डॉक्टर्स भी इसमें शामिल हो गये। सवाल ये है कि उनको एम्स स्ट्राइक करने के लिए चाहिए या बेहतर ट्रीटमेंट करने के लिए? अगर नीयत अच्छे इलाज का ही है तो आये दिन चिकित्सीय सेवाएं ठप क्यों की जा रही हैं? उन्हें ये बताना होगा कि दर-दर भटकते और जिंदगी और मौत के बीच जूझते हजारों पेशेंट्स की खता क्या है? अंदर के पेज पर आप खुद ही देख लीजिए कैसे दिन भर तड़पते रहे मरीज।

खता तो बता

एसएस हॉस्पिटल, बीएचयू में चल रहे स्ट्राइक के मुद्दे ने सोमवार को अचानक यू टर्न लिया और कैंपस के एक दूसरे फैकल्टी के स्टूडेंट्स के साथ हुए मारपीट का मामला एम्स की मांग में बदल गया। हॉस्टल के स्टूडेंट्स से हुए बवाल का मुद्दा छोड़कर रेजिडेंट्स ने एम्स का मुद्दा उठा दिया। खास यह रहा कि उनका साथ हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर्स ने भी दिया। हजारों पेशेंट्स दिन भर दर-दर भटकते रहे। दुखद ये रहा इलाज के अभाव में दो की मौत भी हो गई।

एम्स की मांग को लेकर सीनियर डॉक्टर्स ने आईएमएस के मेन गेट पर धरना भी दिया। एम्स की मांग को लेकर धरना दे रहे सीनियर डाक्टर्स में डायरेक्टर प्रो आरजी सिंह भी शामिल थे।

दो पेशेंट्स की गई जान

एसएस हॉस्पिटल में स्ट्राइक के चलते सोमवार को भी दो लोगों की मौत हो गयी। मरने वालों में एक ढाई साल की बच्ची भी शामिल है। जिसका बीएचयू के बर्न यूनिट में इलाज चल रहा । इसके अलावा ब्0 साल के एक और पेशेंट्स की स्ट्राइक के दौरान मौत हो जाने की खबर है। परिजनों ने स्ट्राइक के चलते उनकी मौत होने का आरोप लगाया है। बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से स्ट्राइक खत्म कराने के लिए किये गए तमाम प्रयासों का नतीजा सिफर ही निकला। डॉक्टर्स किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नहीं हुए।

उपद्रव पर उतरे डॉक्टर्स

रेजिडेंट्स डॉक्टर्स अपने स्ट्राइक के दूसरे दिन उपद्रवियों से व्यवहार करते दिखे। उनके उपद्रव का शिकार एक मीडियाकर्मी भी हुआ। स्ट्राइक को कवर करने गये एक अखबार के फोटोग्राफर की बाइक का हेडलाइट वगैरह उन्होंने तोड़ दिया। इधर हॉस्पिटल में सीनियर डॉक्टर्स ओपीडी चलाने के मूड में थे। लेकिन हड़तालियों ने उन्हें भी काम करने नहीं दिया। रेजिडेंट डॉक्टर्स ने रजिस्ट्रेशन बिल्डिंग पर ताला लगा दिया। ओपीडी में बैठे सीनियर डॉक्टर्स को भी पेशेंट्स देखने नही दिया और ओपीडी का गेट बंद कर दिया। डॉक्टर्स के

स्ट्राइक से बीएचयू हॉस्पिटल की व्यवस्था लगभग पूरी तरह ठप हो गई है। डॉक्टर्स के इमरजेंसी सर्विस, आईसीयू व सीसीयू में कामकाज बंद करने के चलते हॉस्पिटल के हालात काफी बिगड़ गये हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ने सीनियर डॉक्टर्स को ओपीडी में काम नहीं करने दिया।

हालात बेकाबू, स्थिति बदतर

स्ट्राइक के चलते ओपीडी में पेशेंट्स की संख्या डेली की तुलना में कुछ कम ही रही। आस पास के डिस्ट्रिक्ट से आये सैकड़ों की संख्या में पेशेंट्स मायूस होकर लौट गये। इमरजेंसी से दर्जनों से अधिक पेशेंट्स लौटाये गये। खराब हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीनियर डॉक्टर्स ने इलाज न कर पाने की स्थिति में बड़ी संख्या में पेशेंट्स को डिस्चार्ज किया। कुछ पेशेंट्स ने डॉक्टर्स से खुद ही डिस्चार्ज मांगा। दरभंगा बिहार से आये एक पेशेंट के फैमिली मेंबर्स ने बताया कि यहां तो कोई देखने वाला ही नहीं है। मरने से बेहतर है कि कहीं बाहर इलाज कराया जाय। हॉस्पिटल के एक सीनियर ऑफिसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हॉस्पिटल से 7भ् से अधिक पेशेंट्स डिस्जार्ज किये गये और ब्0 से अधिक मेजर व माइनर आपरेशंस टाल दिये गये।

डॉक्टर्स ने निकाली भड़ास

इधर रेजिडेंट्स व सीनियर डाक्टर्स की एक मीटिंग आईएमएस में तीन बजे हुई। मीटिंग में डॉक्टर्स ने बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन पर जमकर भड़ास निकाली। डॉक्टर्स का कहना था बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन उनके साथ पक्षपात का रवैया अपना रहा है। यह उन्हें मंजूर नहीं है। बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन को उनके खिलाफ भी एक्शन लेना चाहिए।

डेंटल साइंस व आयुर्वेद बचा रहे लाज

एसएस हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर्स की स्ट्राइक में डेंटल साइंस फैकल्टी व आयुर्वेद फैकल्टी के स्टूडेंट्स शामिल नहीं हैं। वे नॉर्मल डेज की तरह अपने काम को कर रहे हैं। इससे आयुर्वेद वॉर्ड में एडमिट पेशेंट्स को काफी सहूलियत मिल रही है।

कहीं स्ट्राइक का बहाना तो नहीं

पहले रेजिडेंट्स डाक्टर्स का स्ट्राइक पर चले जाना और फिर अचानक सीनियर डॉक्टर्स का उनके साथ मिलकर एम्स के लिए धरना-प्रदर्शन करना पूरे मामले पर सवालिया निशान लगा रहा है। बीएचयू में इस बात की जोरदार चर्चा रही कि रेजिडेंट डॉक्टर्स की स्ट्राइक के पीछे सीनियर डॉक्टर्स की शह है। अचानक से एम्स के मुद्दे पर सबका सामने आ जाना इस बात की गवाही भी दे रहा है। पहले स्टूडेंट्स स्ट्राइक पर थे और उन्हें समझाने बुझाने के बजाय उनके साथ एक नया राग अलापने लग जाना डॉक्टर्स की मंशा की पोल खोलता दिखायी दे रहा है।

दो के खिलाफ एफआईआर

एसएस हॉस्पिटल के ओपीडी में ताला बंद करने वाले दो रेजिडेंट्स के खिलाफ लंका थाने में एफआईआर दर्ज कराया गया है। इसके अलावा तीन दर्जन से अधिक रेजिडेंट्स को चिन्हित किया गया है जो इस दौरान हुए उपद्रव में साथ थे। उधर बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन ने आईएमए के धरना दे रहे सीनियर डॉक्टर्स में दो सीनियर डॉक्टर्स को चिन्हित किया है। सभी की विडियोग्राफी करायी गयी है।

'डॉक्टर्स को समझाने का प्रयास किया जा रहा है। डॉक्टर्स अगर नहीं मानें तो उनके खिलाफ एस्मा के तहत एक्शन लिया जा सकता है। इस बाबत डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन से बात की गयी है। सिस्टम से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा'।

-प्रो एके जोशी, चीफ प्राक्टर बीएचयू

Posted By: Inextlive