यूपी पुलिस के पीपीएस कैडर के नौ अफसरों के आईपीएस अफसर बनने का सपना चकनाचूर हो गया। सैलरी से लेकर प्रमोशन में तमाम विसंगतियों पर पीपीएस एसोसिएशन ने सीएम की चौखट पर कई बार गुहार लगाई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अब इसी वर्ष इन नौ अफसरों के रिटायरमेंट की जानकारी मिलने पर पीपीएस अफसरों में रोष व्याप्त हो गया है।


पीसीएस कैडर से पिछड़े पीपीएसlucknow@inext.co.in  लखनऊ।पीपीएस एसोसिएशन द्वारा सीएम योगी को दिये गए ज्ञापन में पीपीएस अधिकारियों ने जो बिंदु उठाए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। आलम यह है कि कैडर में विभिन्न वेतनमान के पदों की संख्या सही अनुपात में न होने की वजह से कैडर का आकार बढ़ेगा हो गया है। रोचक बात है कि इसी के उलट प्रदेश के ही पीसीएस कैडर का आकार पदों व मौजूद अफसरों के आनुपातिक रूप से बिलकुल सही है। वेतनमान में विसंगति का ही नतीजा है कि 7600 ग्रेड पे पर 1992 से 2001 बैच के अफसर काम कर रहे हैं। अगर तुलना करें तो यह है सच्चाई


पीसीएस व पीपीएस कैडर के पदों की तुलना करें तो पता चलता है कि पीसीएस कैडर में कुल 1112 पद हैं जबकि, पीपीएस कैडर में 1310 पद। वर्तमान में 12000 ग्रेड पे पर पीसीएस कैडर के 0.89 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं जबकि, पीपीएस का एक भी अफसर इस ग्रेड पे पर नहीं है। इसी तरह 10000 ग्रेड पे पर पीसीएस कैडर के 5.84 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं वहीं, पीपीएस अफसरों का इस ग्रेड पे पर प्रतिशत 0.76 प्रतिशत ही है। 8900 ग्रेड पे पर पीसीएस के 9.89 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं जबकि, पीपीएस में यह प्रतिशत महज 2.06 प्रतिशत है। 8700 ग्रेड पे पर पीसीएस अफसरों का प्रतिशत 17.98 प्रतिशत वहीं पीपीएस अफसरों का प्रतिशत सिर्फ 5.11 ही है। इसी तरह 7600 ग्रेड पे पर पीसीएस कैडर के 22.48 प्रतिशत वहीं, पीपीएस कैडर के 15.03 प्रतिशत। 6600 ग्रेड पे पर पीसीएस के 9.26 जबकि, पीपीएस कैडर के 18.62 प्रतिशत। 5400 ग्रेड पे पर पीसीएस के 33.63 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं जबकि, पीपीएस कैडर के 58.30 प्रतिशत। अधिकारों में भी विसंगति

उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा नियमावली 1942 के मुताबिक, इंस्पेक्टर से डिप्टी एसपी पद पर प्रमोट होने वाले अफसरों की संख्या 50 प्रतिशत से कम भर्ती न किये जाने का प्राविधान है। यानि कि इंस्पेक्टर से डिप्टी एसपी पद पर 50 प्रतिशत से अधिक अफसरों का प्रमोशन किया जा सकता था। हालांकि अधिकारियों ने इस नियम की गलत व्याख्या कर दी और प्रमोशन का प्रतिशत 50 प्रतिशत पर ही लॉक कर दिया। उधर, पीपीएस से आईपीएस कैडर में प्रमोशन 33 प्रतिशत से भी कम बरकरार रखा गया। नतीजतन, ढेरों इंस्पेक्टर डिप्टी एसपी पद पर बिना प्रमोट हुए ही रिटायर हो गए जबकि, डायरेक्ट भर्ती से अधिक पीपीएस अफसरों के  आने से कई पीपीएस अफसर बिना आईपीएस प्रमोट हुए ही रिटायर हो जाते हैं। इसमें एक पेंच यह भी है कि पीपीएस कैडर में नियम है कि 56 साल की उम्र के बाद प्रमोशन नहीं मिल सकता। इन्हीं विसंगतियों का ही नतीजा है कि इस वर्ष भी नौ पीपीएस अफसर रिटायरमेंट की कगार पर हैं और इसी वर्ष उनका रिटायरमेंट है। यह हालात सिर्फ यूपी में ही है। बाकी पड़ोसी राज्यों उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में पीपीएस अफसरों के हालात कहीं बेहतर हैं। बिना प्रमोशन अफसर हो रहे रिटायरपीसीएस एसोसिएशन मौजूदा समय में इस बात पर नाराज है कि वर्ष 2018 में 9 सीनियर पीपीएस अधिकारी ऐसे हैं जो आईपीएस पद पर बिना प्रमोशन पाये ही रिटायर हो जाएंगे। पीपीएस अधिकारी बताते हैं कि ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ कि इतने बड़े पैमाने पर पीपीएस अधिकारी बिना प्रमोशन मिले ही रिटायर हो जाएंगे। अप्रैल में जगदीश शर्मा, मई में विजय कुमार गौतम, जून में अरुण कुमार पांडेय, जुलाई में कुशहर और जगदीश सिंह, अगस्त में अजय कुमार सहदेव, सितंबर में विसर्जन सिंह यादव, अक्टूबर में मंशाराम गौतम और दिसंबर माह में अजय कुमार सहदेव एडिशनल एसपी पद से ही रिटायर हो जाएंगे।  वेतन विसंगति का मुद्दा भी बेहद गंभीर

पीपीएस अधिकारियों को 56 साल की उम्र के बाद प्रमोशन नहीं मिलता, इसके अलावा वेतन विसंगति का मुद्दा भी बेहद गंभीर है। इसे लेकर जल्द ही डीजीपी सर से मिलकर एसोसिएशन अपनी मांगें रखेगी। अजय कुमार मिश्र अध्यक्ष, पीपीएस एसोसिएशन

Posted By: Shweta Mishra