-न्यू फाइनेंशियल इयर से दो माह पूर्व सामने आया पूर्व नगर आयुक्त द्वारा आउटसोर्सिग पर कर्मियों को रखने की स्वीकृति

-मामला संज्ञान में आने पर सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने आरटीआई दाखिल कर नगर आयुक्त से मांगी सूचना

Meerut: घोटालों के लिए मशहूर नगर निगम में आउटसोर्सिग को लेकर बड़ा खेल सामने आया है। न्यू फाइनेंशियल इयर के आठ माह बाद कांट्रेक्टर्स ने पूर्व नगर आयुक्त द्वारा 12 फरवरी को की गई स्वीकृति की कॉपी प्रस्तुत करते हुए आउटसोर्सिग वाले कर्मचारियों के वेतन भुगतान की मांग की है। अब जबकि तीन माह बाद न्यू फाइनेंशियल शुरू होने वाला है। ऐसे में इस मामले का संदिग्ध माना जा रहा है। उधर, सांसद ने भी इस फर्जीवाड़े पर गंभीरता जताते हुए आरटीआई दाखिल कर संबंधित पत्रावली की फोटोकॉपी मांगी है।

ये है मामला

दरअसल, नगर निगम के उद्यान विभाग, जलकल, कंप्यूटर व पथ प्रकाश समेत कई अनुभागों में सैकड़ों कर्मचारी आउटसोर्सिग पर लगे हैं। नियम के मुताबिक आउटसोर्सिग के लिए नगर आयुक्त से प्रत्येक तीन माह बाद अनुमति ली जाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस नए वित्तीय वर्ष में नौ महीने बीतने पर भी अफसरों ने स्वीकृति नहीं ली। न ही कर्मचारियों के वेतन की मांग की। अब जबकि दिसंबर चल रह है कांट्रेक्टर ने अचानक से सात महीने के वेतन की मांग रखी है। कांट्रेक्टर ने बिलों के साथ 12 फरवरी को तत्कालीन नगर आयुक्त अब्दुल समद द्वारा किया गया स्वीकृति का आदेश लगाया गया।

निगम में अफरातफरी

पूर्व नगर आयुक्त की ओर दिखाई जा रही इस स्वीकृति पर निगम फर्जी मान कर चल रहा है। दरअसल तबादले के बाद 15 फरवरी को अब्दुल समद मेरठ से गाजियाबाद चले गए थे। लिहाजा उक्त आदेश को फर्जी माना जा रहा है। सवाल यह भी है कि नए वर्ष से दो महीने पहले ही पूरे वर्ष के लिए स्वीकृति कैसे दी जा सकती है? पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आरटीआई डालकर नगर आयुक्त से पूरे मामले की जानकारी मांगी है।

लखनऊ मीटिंग से लौटकर इन सभी फाइलों की जांच कराई जाएगी। खेल करने वाले ठेकेदारों और कर्मचारियों को जेल भेजा जाएगा।

उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त

निगम में अफसर कर्मचारी और ठेकेदार निरंकुश हो गए हैं। इन सभी के कारनामों की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

हरिकांत अहलूवालिया, मेयर

Posted By: Inextlive