कहीं दाम में हेरफेर तो कहीं क्वालिटी से हो रहा समझौता

ड्रग डिपार्टमेंट की ओर से भी बाजार में नहीं हो रही सैंपलिंग

Meerut। कोरोना संक्रमण के दौरान अगर किसी चीज की सबसे ज्यादा डिमांड बढ़ी है तो वह है सेनेटाइजर। पहले केवल हॉस्पिटल या क्लीनिक तक यूज किया जाता था, लेकिन आज हर घर के दैनिक उपयोग में शामिल है तो बाजार में हर दुकान के काउंटर तक पहुंच गया है। सेनेटाइजर के कारोबार में मुनाफाखोरों ने भी सेंध लगाना शुरु कर दिया है। बाजार में कई तरह के लोकल सेनेटाइजर खुले आम बिक रहे हैं। और तो और बोतलों के ऊपर कंपनी द्वारा प्रिंट एमआरपी को मिटाकर दाम बढ़ा दिए गए हैं, जिसकी जानकारी खुद ड्रग विभाग को नहीं है और न ही कोई चेकिंग हो रही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने बाजार में बिक रहे सेनेटाइजर की पड़ताल की तो लेवल के अंदर का दाम और क्वालिटी कुछ ओर ही निकली।

एमआरपी पर खेल

बाजार में उपलब्ध सेनेटाइजर पर मुनाफे का खेल चल रहा है। रिपोर्टर ने गढ़ रोड स्थित मेडिकल स्टोर से सेनेटाइजर की जानकारी ली तो दुकानदार ने तीन तरह के सेनेटाइजर दिखा दिए। इसमें एक सेनेटाइजर की बोतल पर अलग से लेबल लगाकर एमआरपी छिपाई गई थी., जबकि ऊपर लगे स्टीकर पर 10 रुपए अधिक दाम लिखा था। रिपोर्टर ने स्टोर संचालक से पूछा तो उसने बताया दिया कि कंपनी से ही अब नई लेबलिंग लगाकर बोतल आ रही है। कंपनी ने दाम बढ़ा दिए हैं। वहीं एक दूसरी दुकान पर उसी कंपनी की बोतल में एमआरपी को पेन से काटकर बेचा जा रहा था। रिपोर्टर ने जब दुकानदार से पूछा तो दुकानदार ने बताया कि इस कंपनी के सेनेटाइजर की शॉर्टेज है, इसलिए डीलर के पास से अधिक दाम में मिल रही है। इसलिए पुराना रेट काट दिया गया है।

सड़कों पर सेनेटाइजर

वहीं सेनेटाइजर के नाम पर अब गली गली में लोगों ने दुकानें खोल ली है। हालांकि सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए सेनेटाइजर बिक्री के लिए ड्रग लाइसेंस की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। ऐसे में अब कोई भी सेनेटाइजर बेच सकता है, लेकिन इनकी क्वालिटी की जांच का जिम्मा ड्रग विभाग के पास है। इन सेनेटाइजर का न तो कोई बिल ग्राहक को मिलता है और न ही क्वालिटी की गारंटी है। कई जगह तो कंपनी की खाली बोतलों में थिनर भरकर सेनेटाइजर के नाम पर बेचा जा रहा है। ड्रग विभाग का फुटपाथ की अस्थाई दुकानों पर कोई लगाम नही है, जबकि विभाग को इनकी रेंडम चेकिंग भी करनी चाहिए।

सरकार ने सभी सेनेटाइजर के दाम फिक्स किए हुए हैं। दाम से बढ़ाकर बेचना या अलग से लेवलिंग करके बेचना अपराध है। इसकी शिकायत पर हम जांच के बाद एक्शन लेंगे। रेंडम चेकिंग कर रेट चेक भी किए जा रहे हैं। सेनेटाइजर बेचने के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता नही है। उसकी भी हम सैंपलिंग करते रहते हैं।

पवन शाक्य, डीआई

यदि अलग से लेवल लगाकर सेनेटाइजर के दाम बढ़ाकर बेचे जा रहे हैं तो यह गलत है। सरकार ने रेट फिक्स कर दिए हैं जो इस रेट से अधिक बढ़ाकर बेच रहें है उस पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। सड़क किनारे बेचने वालों के लिए लाइसेंस अनिवार्य नही है लेकिन इसकी क्वालिटी की जांच होना चाहिए।

घनश्याम मित्तल, महामंत्री कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसो।

Posted By: Inextlive