प्रदूषण के मानकों पर खरी नही उतर रही नई गाडि़यां

बीएस फोर की पीयूसी जांच में आ रही परेशानियां

मिलावटी पेट्रोल के कारण खराब हो रहा गाडि़यों का इंजन

Meerut। सरकार ने प्रदूषण सर्टिफिकेट का जुर्माना क्या बढ़ाया वाहन चालकों में प्रदूषण के लिए जागरुकता इस कदर बढ़ गई है कि अब सफर पर निकलने पहले ही वाहन चालक प्रदूषण की जांच कराकर जुर्माने से बचने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वाहन चालकों की समस्या का यहीं पर समाधान नहीं हो रहा है। वाहन चालकों के लिए गाड़ी का मॉडल भी अब परेशानी साबित हो रहा है। यानि की अगर गाड़ी दस साल से अधिक पुरानी है तो उसका पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी नही हो रहा है वहीं कई बीएस फोर गाडि़यों के लिए भी पॉल्यूशन सॉफ्टवेयर सर्टिफिकेट जारी नही कर रहा है। जिसके चलते वाहन मालिक बिना पीयूसी के ही वाहन चलाने को मजबूर हो रहे हैं।

पुरानी गाडि़यों की आफत

दरअसल फोर व्हीलर के प्रदूषण मानक पूरे न होने के कारण मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के बाद 10 हजार रुपए का जुर्माना निर्धारित किया गया है। यह रकम काफी अधिक है इसलिए जुर्माने से बचने के लिए पीयूसी के प्रति वाहन मालिकों की जागरुकता भी बढ़ गई है, लेकिन 8 से 10 साल पुरानी गाडि़यों का पीयूसी अटक रहा है। अधिकतर जांच केंद्र 10 साल पुरानी गाड़ी का पीयूसी जारी करने से ही मना कर देते हैं। क्योंकि इन गाडि़यों का इंजन पुराना होने के कारण ये प्रदूषण अधिक देने लगती हैं।

मिलावटी पेट्रोल बना कारण

आटो मोबाइल विशेषज्ञों या पॉल्यूशन सेंटर्स के मुताबिक नई गाडि़यां भी पॉल्यूशन जांच में खरी नही उतर रही हैं। यदि रोजाना 20 गाडि़यों के पॉल्यूशन की जांच की जा रही है तो 20 में 4 गाडि़यां पॉल्यूशन के मानकों पर फेल हो रही हैं। क्योंकि उन गाडि़यों के धुएं में निकलने वो सल्फर और कार्बन की मात्रा मानकों से अधिक है।

ये हैं मानक

मॉडल पेट्रोल गाड़ी गैस लेवल

बीएस 4 कार्बन डाई ऑक्साइड 2.30 से 5.222 ग्राम प्रति किमी

एचसी यानि हाइड्रोक्लोराइड 0.20 से 0.29

एनओएक्स यानि नाइट्रोजन ऑक्साइड इमिशन 0.15 से 0.21

बीएस 3 कार्बन डाई ऑक्साइड 1.00 से 2.27

एचसी 0.10 से 0.16

एनओएक्स 0.08 से 0.11

मॉडल डीजल गाड़ी

बीएस 4 सीओटू 0.50 से 0.74

एनओएक्स 0.25 से 0.39

एचसी और एनओएक्स 0.30 से 0.46

बीएस 3 सीओटू 0.64 से 0.95

एनओएक्स 0.5्र0 से 0.78

एचसी और एनओएक्स 0.56 से 0.86

बीएस फोर मॉडल भी बना समस्या

वहीं परिवहन विभाग के पॉल्यूशन जांच के मानकों को अधिक सख्त कर दिया है। जिसके चलते अब भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ट यानि बीएस 4 वाहन भी पॉल्यूशन जांच में फेल हो रहे हैं। स्थिति यह है कि जांच केंद्रों का सॉफ्टवेयर बीएस 4 मानक की गाडि़यों को एक्सेपट ही नही कर पा रहा है जिस कारण से बीएस 4 गाडि़यों के मालिकों को कई कई सेंटर्स पर चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

सभी प्रकार की गाडि़यों के मॉडल के हिसाब से अलग मानक होते हैं। ठंडी गाड़ी आप स्टार्ट करने के बाद तुरंत पॉल्यूशन जांच कराओगे तो पॉल्यूशन ज्यादा रहेगा। गाडि़यों के अंदर र्कैटरलिक कनवर्टर होता है जो 400 डिग्री तक गर्म होने के बाद लेवल बैलेंस करता है। पेट्रोल डीजल का इस पर काफी अधिक असर पड़ता है। यदि पेट्रोल डीजल मिलावटी है तो पॉल्यूशन पार्टिकल्स अधिक होंगे।

अंकुर वर्मा, आटो मोबाइल इंजीनियर एंड लेक्चरर इन एमआईईटी

बीएस फोर और दस साल पुरानी गाडि़यों के पॉल्यूशन में परेशानी आती है। बीएस फोर को तो सॉफ्टवेयर ही नही पकड़ रहा है इसलिए इनका पीयूसी जारी नही हो रहा है।

सोनू

कई वाहन मालिक चार चार बार चक्कर लगा चुके हैं बीएस फोर होने के कारण उनकी गाड़ी का पीयूसी नही बन पा रहा है। बाकि जिनका पॉल्यूशन मानक के अनुसार नही है ऐसे चार से पांच गाडि़यां रोजाना फेल हो रही है।

गौरव

Posted By: Inextlive