- 7 दिसम्बर से गैरसैंण सत्र में राजधानी के मसले पर बीजेपी दुविधा में

- पहले तीन गैरसैंण सत्रों में इस मसले पर सत्र का बहिष्कार करती रही बीजेपी

- प्रचंड ठंड के बीच गैरसैंण सत्र पर भी उठाये जा रहे सवाल

DEHRADUN : राज्य की भाजपा सरकार ने विधानसभा का शीतकालीन सत्र गैरसैंण में आयोजित करने की घोषणा कर दी है। घोषणा के मुताबिक यह सत्र 7 से क्भ् दिसम्बर तक चलेगा। यदि ऐसा होता है तो यह सत्र गैरसैंण में अब तक हुए तीन सत्रों में सबसे लम्बा होगा। इससे पहले कांग्रेस सरकार के दौरान गैरसैंण में तीन विधानसभा सत्र आयोजित किये जा चुके हैं, लेकिन सभी सत्र दो दिन में निपटा दिये गये। हालांकि इस सत्र को लेकर कई तरह की आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही हैं, सबसे बड़ी आशंका भराड़ीसैंण में पड़ने वाली ठंड को लेकर है। यदि सत्र के दौरान मौसम साफ नहीं रहा तो वहां इतना लम्बा सत्र चलाना काफी कठिन होगा।

राजधानी का मसला फिर होगा गर्म

राज्य गठन के क्7 साल बाद उत्तराखंड को स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई है। इतने सालों से देहरादून में ही अस्थाई राजधानी चल रही है। कांग्रेस ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने की शुरुआत तो की और भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन व अन्य आवासीय भवनों का निर्माण भी करवाया, लेकिन अस्थाई राजधानी के मसले पर कांग्रेस का रवैया हमेशा ढु़ल-मुल ही रहा।

ग्रीष्मकालीन राजधानी का शिगूफा

कांग्रेस ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र तो आयोजित किये, लेकिन इसे कभी राज्य के स्थाई राजधानी के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया। भाजपा हमेशा कांग्रेस की इस ढुलमुल नीति को लपकती रही और गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग करती रही। पिछले दो सत्र में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा ने स्थाई राजधानी का मुद्दा उठाया और पहले ही दिन सदन का बहिष्कार कर भाजपा विधायक गैरसैंण से वापस लौटते रहे। सदन की बाकी कार्यवाही की औपचारिकताएं कांग्रेस सरकार विपक्ष की गैरमौजूदगी में ही पूरी करती रही।

अब क्या करेगी भाजपा

अब जबकि भाजपा सरकार में है और उसके पास पूर्ण बहुमत भी है। इसी के साथ सरकार ने गैरसैंण में शीतकालीन सत्र आयोजित करने की भी घोषणा कर दी है। इसके बाद सवाल यह उठता है कि गैरसैंण सत्र में सरकार का रुख स्थाई राजधानी को लेकर क्या रहेगा? भाजपा के वरिष्ठ नेता अभी इस बारे में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। इससे यह संकेत मिलने शुरू हो गये हैं कि भाजपा जिस तरह से इस मसले पर विपक्ष में रहते हुए आक्रामक रही, अब उसका रवैया कांग्रेस की तरह ढुलमुल नीति अपनाने का हो सकता है।

8 किलो की ठंड में विस सत्र

कांग्रेस सरकार के दौरान गैरसैंण सत्र गर्मी के दिनों में ही आयोजित किया जाता रहा है, वह भी मात्र तीन दिन का, हालांकि यहां कभी भी कार्यवाही तीन दिन नहीं चली। यह पहला मौका है, जब सत्र प्रचंड ठंड के मौसम में आयोजित किया जा रहा है। भराड़ीसैंण के बारे में स्थानीय लोगों में एक कहावत प्रचलित है कि वहां 8 किलो ठंड पड़ती है। कुछ साल पहले तक भराड़ीसैंण में एक डेयरी थी, जिसमें ख्00 से अधिक गायें थीं। माना जाता है कि ठंड के दिनों में वहां रहने वाले कर्मचारियों को कम से कम 8 किलो की रजाई की जरूरत होती थी। ऐसी ठंड में एक सप्ताह का सत्र आसान नहीं होगा। यदि बर्फबारी हुई तो सत्र चलाने में और भी दिक्कतें आ सकती हैं।

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गैरसैंण का मामला भाजपा के विजन डॉक्यूमेंट में भी शामिल था। हमारी सरकार समभाववादी सरकार है। सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास हमारा मुख्य उद्देश्य और हमारी सरकार की प्राथमिकता है। जहां तक गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का सवाल है तो इस मामले में समय आने पर निर्णय लिया जाएगा और इस निर्णय के बारे में आपको बता दिया जाएगा।

-मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री एवं सरकार के प्रवक्ता।

Posted By: Inextlive