सौ से अधिक ने गंवाई थी जान, अब तक नहीं मिली दोषियों को सजा

एनसीआर में हुए कई बड़े ट्रेन हादसे आज भी पैदा करते हैं सिहरन

ALLAHABAD: हादसे होते गए, जांच लटकती गयी। जी हां, एनसीआर में हुए कई बड़े रेल हादसों की अब तक न जांच पूरी हो पायी है और न दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकी है। फतेहपुर जनपद के मलवां रेलवे स्टेशन पर पांच साल पहले 10 जुलाई 2011 को हुआ कालका मेल हादसा इस बात का गवाह है। दिल्ली से हावड़ा, मुंबई व कन्याकुमारी तक ट्रेनें दौड़ाई जा रही हैं। ट्रेनों की स्पीड के साथ ही संख्या भी बढ़ रही है, लेकिन ट्रेनों के साथ ही रेलवे ट्रैक की मरम्मत पर रेलवे का ध्यान कम है। इसकी वजह से आए दिन हो रहे हादसों का जख्म यात्रियों को झेलना पड़ रहा है। कानपुर-झांसी रूट पर पुखरांया स्टेशन के पास रविवार को घटित हुई दुर्घटना रेलवे की इसी लापरवाही का परिणाम है। इंदौर-पटना एक्सप्रेस की तरह एनसीआर में पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें कई पैसेंजर्स की मौत हो चुकी है। लेकिन आज तक किसी भी घटना में दोषी को सजा नहीं मिली है। जांच पूरी नहीं हुई है।

एनसीआर की बड़ी रेल दुर्घटनाएं

जनता एक्सपे्रस

इसी साल 21 मार्च को रायबरेली के बछरावां रेलवे स्टेशन के पास जनता एक्सप्रेस (14266) की 4 बोगियां डीरेल हो गई थीं। भीषण हादसे में इंजन के पीछे वाली बोगी पिचक कर करीब एक-तिहाई रह गई थी। रेल प्रशासन का कहना था कि ट्रेन को बछरावां स्टेशन पर रुकना था, लेकिन इसका ब्रेक फेल हो गया। हादसा टालने के इरादे से ट्रेन का ट्रैक बदलकर उसे डेड एंड ट्रैक पर डाल दिया गया था। इसके बाद इमरजेंसी ब्रेक लगाने के कारण डिब्बे पटरी से उतर गए और डेड एंड से इंजन के टकराने के बाद ये हादसा हुआ।

मुरी एक्सप्रेस

25 मई 2015 को कौशांबी के सिराथू रेलवे स्टेशन के पास मुरी एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी। ट्रेन राउरकेला से जम्मू तवी जा रही थी। हादसे में ट्रेन के एस-3, एस-4, एस-5, एस-6 व एस -7 के साथ-साथ ए-1, बी-1, बी-2 व पैंट्रीकार तेज आवाज के साथ बेपटरी हो गए थे। एस थ्री कोच नजदीक ही खाई में जा गिरा। ट्रेन दो हिस्सों में बंट गई थी। इंजन तीन डिब्बों के साथ करीब 200 मीटर तक आगे चला गया। इंजन से लगा तीसरा डिब्बा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था। हादसे में 25 यात्री मारे गए थे, जबकि 300 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे।

पलटी थी कालका मेल

10 जुलाई 2011 को फतेहपुर में मलवा स्टेशन के पास कालका मेल रेलवे ट्रैक से उतर गई थी। क्योंकि ट्रेन के ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दी थी। हादसा इतना जबर्दस्त था कि चार डिब्बे एक दूसरे के उपर चढ़ गए थे। कालका मेल की 12 बोगियां ट्रैक से उतरी थीं। हादसे में 37 यात्रियों की मौत हुई थी और 100 से अधिक पैसेंजर्स घायल हुए थे।

इलाहाबाद से सटे रूट पर हादसे

31 मई 2012- हावड़ा से देहरादून जा रही दून एक्सप्रेस जौनपुर के निकट पटरी से उतर गई थी। हादसे में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी।

12 मई 2002- नई दिल्ली से पटना जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस जौनपुर में पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 12 लोगों की मौत हुई थी।

Posted By: Inextlive