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RANCHI (3 ष्ठद्गष्) : पहाड़ी मंदिर में लगने वाला विश्व का सबसे ऊंचा और सबसे वजनी राष्ट्रीय ध्वज 5 दिंसबर को रांची पहुंचेगा। नाइलोन(पैरासूट तैयार करने वाले विशेष कपड़े) से तैयार इस भारतीय झंडे का वजन एक क्विटंल के करीब है। फ्लैग की लंबाई 99 फीट और चौड़ाई 66 फीट है। इस फ्लैग को खासतौर पर मुंबई में वालमार्ट कंपनी ने तैयार किया है। इसके पहले बुधवार की रात पूणे से 81.5 मीटर का 10 पीस फ्लैग मास्ट रांची पहुंचा है। तीन बड़े ट्रेलर से फ्लैग मास्ट को रांची लाया गया है। फ्लैग मास्ट को रांची पहाड़ी मंदिर रोड के सामने से निर्माण स्थल तक पहुंचाने में तीन क्रेनों का सहारा लिया गया। एक फ्लैग मास्ट की वजन करीब 16 टन के आसपास है। पांच घंटे की मेहनत के बाद ट्रकों से सारे फ्लैग मास्ट को निर्माण स्थल के पास रखा गया है।

1.25 करोड़ है ध्वज लगाने का कॉस्ट

रांची पहाड़ी मंदिर विकास समिति के कोषाध्यक्ष हरि जालान ने बताया कि ध्वज लगाने के लिए 1.25 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत है। ध्वज के लिए झालदा के व्यवसायी विष्णु अग्रवाल ने सहयोग किया है।

ध्वज लगाने के लिए पहाड़ी मंदिर के पूरब साइड में कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा है। साइट इंजीनियर विकास वर्णवाल ने बताया कि 25, 12 और 10 एमएम की रॉड, 1820 सेंट्रल डाया एंकर प्लेट और 60 एमएम के बोल्ट से 280 फीट ऊंचा मचान बनाया गया है। इस मचान पर ही फ्लैग पोस्ट लगाए जाएंगे। जमीन तल से 530 फीट की ऊंचाई पर यहां तिरंगा शान से लहराएगा। ध्वज के आसपास लाइटिंग के लिए पीवीसी पाइप को भी लगाया गया है।

15 दिंसबर तक रेडी होगा काम

कंस्ट्रक्शन वर्क को 15 दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 200 से भी अधिक घंटे तक काम हुए हैं। रोजना 16 घंटा काम हो रहा है।

पीएम फहरा सकते हैं ध्वज

पहाड़ी मंदिर में कंस्ट्रक्शन वर्क पूरा होने के बाद 27 दिसंबर को ध्वजारोहण होगा। पहाड़ी मंदिर विकास समिति के कोषाध्यक्ष हरि जालान ने बताया कि ध्वजारोहण के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को न्यौता भेजा गया है। निमंत्रण के बाद सकारात्मक संकेत मिले हैं।

पहाड़ी नजर एक नजर में

भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर धार्मिक आस्था के साथ देशभक्तो के बलिदान के लिए भी जाना जाता है। यह मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से फहराया जाता है। यहां यह परम्परा यहां पर 1947 से ही चली आ रही है। पहाड़ी बाबा मंदिर का पुराना नाम टिरीबुरू था जो आगे चलकर ब्रिटिश हुकूमत के समय फांसी टुंगरी में परिवर्तित हो गया। अंग्रेजी हुकूमत के समय देश भक्तों और क्रांतिकारियों को यहां फांसी पर लटकाया जाता था। आजादी के बाद रांची में पहला तिरंगा धवज यही पर फहराया गया था जिसे रांची के ही एक स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण चन्द्र दास से फहराया था। उन्होंने यहां पर शहीद हुए देश भक्तों की याद व सम्मान में तिरंगा फहराया था तथा तभी से यह परंपरा बन गई।

क्या कहते हैं लोग

पहाड़ी मंदिर का नाम अब वैश्विक पटल पर लिखा जाने वाला है। इसकी बुनियाद रख दी गई है।

हरि जालान

27 दिसंबर का दिन रांची के लिए खास होगा। यह ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर विश्व रिकॉर्ड स्थापित करेगा।

सुनील माथुर

मजबूती के साथ बुनियाद रखी गई है। जल्द ही काम पूरा हो जाएगा।

दीपक भारद्वाज

यहां लगने वाले ध्वज का खास आकर्षण है। अभी तक इतना बड़ा ध्वज भारत भर में कहीं नहीं लगा है।

राजू अडुकिया

Posted By: Inextlive