Patna: टीचर्स की कमी के कारण स्टेट के हायर एजुकेशन का हाल बुरा है. कॉलेजों में नौ साल पहले हुई थी आखिरी अप्वाइंटमेंट लेकिन उसमें भी सब सीटें नहीं भरी गयी थीं. अब एक्चुअल में टीचर्स की ये कमी कब पूरी होगी ये तो वक्त ही बताएगा पर नए अप्वाइंटमेंट पर किचकिच जारी है.

इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी ने खोखला बना दिया
हायर एजुकेशन की प्रॉब्लम्स भी हाई ही हैं। कहने को बड़ी और पुरानी यूनिवर्सिटीज लेकिन सब खोखली। कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी ने खोखला बना दिया, कहीं टीचर्स की कमी ने, तो कहीं दोनों के कारण। लेकिन हायर एजुकेशन का ढांचा खोखला हो चुका है। टीचर्स की कमी ऐसी प्रॉब्लम है जो बिहार की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को अर्से से प्रॉब्लम देती आई है। क्योंकि बिना टीचर्स टीचिंग नहीं और टीचिंग नहीं तो यूनिवर्सिटी की क्या बिसात। वैसे टीचर्स नहीं हैं, इसके पीछे कोई और रीजन नहीं बल्कि एडमिनिस्ट्रेटर्स में विलिंगनेस की कमी है। आखिरी अप्वाइंटमेंट नौ साल पहले हुई थी, तब भी सब सीटें नहीं भरी गयी थीं। इसके बाद के अप्वाइंटमेंट प्रोसीजर को डिसाइड करने में नौ साल लग गए, अब अप्वाइंटमेंट कब होगी, कोई ठिकाना नहीं।

ब्रॉडबैंड का दावा पर टीचर्स नहीं
स्टेट के कॉलेजों के लिए एजुकेशन डिपार्टमेंट ने जितनी प्लानिंग की है, उतनी पूरी हो जाएं तो कायाकल्प हो जाए। डिपार्टमेंट दावे तो करता है कि सभी कॉलेजों में उनकी अपनी वेबसाइट भी जल्दी होगी और वहां के स्टूडेंट्स के पास ब्रॉडबैंड कनेक्शन भी। लेकिन इन हाई-फाई प्लानिंग से इतर असली प्रॉब्लम यानि टीचर्स की कमी पर कोई फिक्स प्लान नहीं है। स्टेट की यूनिवर्सिटीज में 60 परसेंट सीटों पर टीचर्स नहीं हैं, लेकिन डिपार्टमेंट ने यही प्लानिंग करने में नौ साल खर्च कर दिए कि अप्वाइंटमेंट करेगा कौन। अभी भी डिपार्टमेंट इस पर विचार ही कर रहा है।

The four pillars
सिस्टम भले ही तीन पिलर्स पर खड़ा हो, लेकिन स्टेट के कॉलेजों में टीचर्स अप्वाइंटमेंट में चार-चार पिलर्स खड़े हैं। हालांकि अप्वाइंटमेंट का पेंडुलम ना किसी पर रूक रहा है और ना ही किसी नये सिस्टम के इंट्रोडक्शन की उम्मीद दे रहा है. 
* यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन :- अभी तक हो चुकी अप्वाइंटमेंट्स का प्रोसीजर था, यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन। लेकिन 10 मार्च, 2007 को कमीशन भंग हो गया। इसके रिवाइवल की भी चर्चा जोरों पर रही है. 
* वाइस चांसलर एंड पैनल :- अप्वाइंटमेंट का अधिकार एक वक्त यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर्स के पास भी था। यह सिस्टम भी एग्जिस्टेंस में रह चुका है तो इस पर भी चर्चा जारी है. 
* स्टेट गवर्नमेंट एंड पैनल :- पैसे स्टेट गवर्नमेंट दे तो अप्वाइंटमेंट का अधिकार भी उसके पास रहे, इस दलील के पीछे की भीड़ भी बड़ी है। हालांकि इस ऑप्शन पर विरोध कई हैं. 
* बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन :- हर एजेंसी पर से चर्चा हटी तो नाम आया बीपीएससी का। लेकिन बीपीएससी के द्वारा यूनिवर्सिटी टीचर्स का भी अप्वाइंटमेंट होगा, यह डिसीजन अभी पेंडिंग ही है. 

टीचर्स अप्वाइंटमेंट पर दावा
मौके-बेमौके स्टेट गवर्नमेंट की ओर से नये सेशन से पहले टीचर्स अप्वाइंटमेंट कंप्लीट होने का दावा रहता है। कुछ काम पूरा भी हुआ है। जैसे रेशनलाइजेशन के बाद 3395 टीचर्स की अप्वाइंटमेंट होनी है, जिसकी सब्जेक्ट वाइज लिस्ट तैयार है।

टीचर्स अप्वाइंटमेंट की हकीकत
स्टेट की यूनिवर्सिटीज में कितने सीटों पर अप्वाइंटमेंट होना है, यह तो डिसाइड है लेकिन अभी तक ये डिसाइड नहीं कि यह करेगा कौन। एजेंसी फाइनल होने के बाद भी अप्वाइंटमेंट प्रोसीजर नये सेशन से पहले कंप्लीट होगा, कई एक्सपट्र्स को इसमें संदेह है. 

University wise vacant posts
पटना यूनिवर्सिटी - 200
बीआरए यूनिवर्सिटी - 600 
मगध यूनिवर्सिटी - 650 
वीकेएस यूनिवर्सिटी - 360
एलएनएम यूनिवर्सिटी - 550 
तिलकामांझी यूनिवर्सिटी - 425 
जेपी यूनिवर्सिटी - 380 
बीएन मंडल यूनिवर्सिटी - 230 

Subject wise vacant posts
हिस्ट्री - 300 
साइकोलॉजी - 370 
पॉलिटिकल साइंस - 275 
हिंदी - 230 
केमेस्ट्री - 220 
फिजिक्स - 200 
इकोनॉमिक्स - 190
बॉटनी - 180 
जूलॉजी - 180 
मैथ्स - 180 
इंगलिश - 160 
ज्योग्राफी - 150 
उर्दू - 80
संस्कृत - 50 
कॉमर्स - 50 
अन्य - 580 

Posted By: Inextlive