- शर्मनाक हकीकत: बिहार की 100 में 39 शादियों में वधू की उम्र 18 साल से कम

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PATNA : ख्क् वीं सदी में बाल विवाह। यह बात सुनकर कोई भी चौंक सकता है। क्योंकि पिछले दो दशक से केंद्र और राज्य सरकारें बाल विवाह रोकने के लिए अरबों रुपए जागरूकता अभियान पर चर्च कर चुकी है। सत नियम कानून बनाए गए हैं। गांव-गांव में इस बात को प्रचारित किया जा रहा है कि शादी के लिए लड़के की उम्र ख्क् और लड़की की क्8 साल होनी चाहिए। इसके बावजूद आज भी पूरे देश में खुलेआम बाल विवाह करवाए जा रहे हैं। इस बात की पुष्टि हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-ब् के आंकड़ों में हुई। देश में सबसे अधिक बाल विवाह पश्चिम बंगाल में हो रहा है। इस प्रदेश में आज भी ब्0.7 प्रतिशत लड़कियों की शादी क्8 वर्ष से कम उम्र में कर दी जाती है। दूसरे नंबर पर बिहार है।

यहां प्रशासन भी मौन है

चार दिनों पहले गांधी मैदान में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में एक दर्जन लड़कियां ऐसी थी, जिनकी उम्र क्8 साल से कम थी। इस कार्यक्रम में मुय अतिथि के तौर पर बिहार के दो मंत्री भी आशीर्वाद देने पहुंचे थे। आई नेक्स्ट ने जब इस सामूहिक बाल विवाह का खुलासा किया तो डीएम ने कार्रवाई करने की बात कही। लेकिन, आज चार दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ जाहिर है कि बिहार में शासन-प्रशासन ने बाल विवाह को मौन स्वीकृति दे दी है।

बाल विवाह को ले सत कानून

सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद मिश्रा बताते हैं कि बाल विवाह को रोकने के लिए ख्00म् में सत कानून बना। बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत बाल विवाह के दोषी और सजा दोनों के प्रावधान तय किए गए। पुलिस और प्रशासन को अधिनियम के तहत कार्रवाई के लिए कहा गया। बावजूद इसके कई प्रदेशों में आज भी क्0-क्ख् साल की उम्र में शादी कर दी जाती है। इस बात की ाबर पुलिस और प्रशासन दोनों को होती है लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती।

दूसरे नंबर पर बिहार

वेस्ट बंगाल ब्0.7 परसेंट

बिहार फ्9.क् परसेंट

आंध्र प्रदेश फ्ख्.7 परसेंट

त्रिपुरा फ्ख्.ख् परसेंट

मध्य प्रदेश फ्0 परसेंट

ख् साल की है सजा

इस अधिनियम के तहत बाल विवाह के आरोपियों को दो साल तक की सजा या एक ला रुपए जुर्माना अथवा दोनों एक साथ हो सकते हैं। इसके अलावा बाल विवाह का साथ देने वाले माता-पिता, रिश्तेदार, पंडित को भी तीन महीने तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।

हर दिन मर रही बेटियां

सोशल वर्कर शाहिना बताती हैं कि बाल विवाह समाज और बेटियों के लिए अािशाप है। कम उम्र में शादी और गर्भवती होने के कारण मातृ मत्यु, मृत प्रसव और गर्भपात के केस बढ़ जाते हैं। जिस गांव में बाल विवाह अधिक होते हैं वहां शिशु मृत्यु दर और अस्वस्थता दर भी अधिक है। बाल विवाह अशिक्षा भी बढ़ाता है, क्योंकि पढ़ने की उम्र में शादी हो जाती है।

गुडि़यों के संग खेलती,

चिडि़या सी चहक रही,

मां -बापू की लाड़ली,

फूलों सी महक रही।

आज खूब सजी-धजी,

फिर भी रो रही,

सखियां बता गई,

की उसकी शादी हो रही।

मां का आंचल पकड़,

उससे प्रश्न कर रही,

क्या खता हो गयी,

जो आज विदा हो रही।

बापू के पांव पकड़,

प्रार्थना वो कर रही,

ना भेजो घर दूजे,

फूट-फूट रो रही।

मासूम सी कली,

आज कैसी ढल गई,

खेलने के दिन थे,

खुद खेल बन गई।

अग्नि के चहुं दिशा,

सात बार घूमती,

कुंड में स्वाह हो रहे,

बचपन को ढूंढती।

बाल विवाह की रीति से,

अबोध अंजानी है,

रोक दो ये शादी,

ये शादी बेईमानी है।

Posted By: Inextlive