बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद हर जगह नीतीश की जय-जयकार हो रही है। महागठबंधन को इस तरह से जीत मिलेगी यह तो मोदी ने सपने में भी नहीं सोचा था। लेकिन नीतीश की इस जीत के पीछे एक चेहरा वो भी है जिसने कभी मोदी के सिर जीत का सेहरा बांधा था।

बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो
टीम प्रशांत किशोर ने पर्दे के पीछे से अपनी ताकत दिखा दी और अपने अभियान के टैग लाइन- बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो स्थापित करा दिया। एक जमाने में नरेंद्र मोदी के कैंपेन को संभालने वाले प्रशांत किशोर चुनाव के एलान के कुछ माह पहले नीतीश कुमार के साथ जुड़े थे। चुनाव कैंपेन संभाल रहे प्रशांत किशोर का आत्मविश्वास यह था कि मतदान के पहले चरण से ही वह यह कहने लगे थे कि उनका सौ फीसदी आकलन है कि महागठबंधन को सफलता मिलेगी। महागठबंधन नहीं जीता तो वह कैंपेन के काम को ही छोड़ देंगे। मतदान के आखिरी चरण के बाद तो वह महागठबंधन के स्कोर के प्रति आश्वस्त कर रहे थे।

सोशल मीडिया पर कराया एक्टिव

नीतीश कुमार के साथ जुडऩे के तुरंत बाद टीम प्रशांत किशोर ने सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार की उपस्थिति को बढ़ाया। फेसबुक पर नीतीश कुमार पहले से थे पर वह ट्विटर पर भी आ गए। चुनाव के दौरान तो नीतीश ने अपने कई साक्षात्कार ट्विटर पर किए। टीम प्रशांत किशोर ही इसके पीछे थी। फेसबुक पर घंटे पर का चैट भी हुआ। यही नहीं चुनाव के ठीक पहले टीम प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को केंद्रित कर बड़े कैंपेन शुरू किए। टैगलाइन था बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो। इस टैग लाइन को नीतीश कुमार के बड़े-बड़े होर्डिंग्स में तो इस्तेमाल किया गया ही साथ ही साथ इसके जिंगल्स भी बने। नीतीश कुमार की सभाओं में यह जिंगल्स नियमित रूप से बजा और लोगों की जुबान पर चढ़ गया।
तरह-तरह के अभियान
टीम प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को केंद्रित कर साइकिल पर कैनोपी बनाकर एक नया अभियान शुरू किया। बिहार के चुनाव में यह पहला प्रयोग था। खास किस्म के ड्रेस वाले वांलेटियर साइकिल के साथ घूमते थे। महागठबंधन का स्टिकर लगाना और पर्चे बांटने का काम था उनके जिम्मे। जमीनी स्तर पर यह अभियान खूब चला। इसी तरह कई बड़े कैंपेन जैसे बहुत हुआ जुमलों का वार, फिर एक बार नीतीश कुमार, महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार, फिर एक बार नीतीश कुमार को भी टीम प्रशांत किशोर ने ही संचालित किया। झांसे में न आएंगे, नीतीश को जिताएंगे वाला कैंपेन भी खूब चर्चा में रहा। इन सब अभियानों के पहले घर-घर दस्तक अभियान भी काफी लोकप्रिय हुआ।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari