हेलमेट-सीटबेल्ट के साथ व्यावसायिक वाहनों में स्पीड लिमिट डिवाइस की हुई जांच

पटना (ब्यूरो)। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि व्यवसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर होना अनिवार्य है। वाहनों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगे होने से स्पीड को लिमिट किया जा सकता है और सड़क दुर्घटना की संभावना भी कम जाती है। उन्होंने निर्देश दिया कि व्यवसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर लगे हों एवं सही से काम करे यह सुनिश्चित कराने के लिए सभी जिलों में विशेष जांच अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही अपने वाहनों का इंश्योरेंस जरूर कराएं। बिना थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के वाहन चलाते पकड़े जाने पर 2000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

359 वाहनों पर लगा जुर्माना
हेलमेट-सीटबेल्ट, इंश्योरेंस एवं व्यवसायिक वाहनों में लगे स्पीड लिमिट डिवाइस (एस.एल.डी) की जांच के लिए सैटरडे को सभी जिलों में विशेष जांच अभियान चलाया गया। इस दौरान 879 वाहनों की जांच में विभिन्न धाराओं के तहत 359 वाहनों पर जुर्माना लगाया गया एवं 47 वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई की गई। जुर्माना के तौर पर लगभग 7.23 लाख रुपये की वसूली की गई। स्पीड लिमिट डिवाइस जांच के दौरान पाया गया कि कई वाहनों में स्पीड गवर्नर लगे होने के बावजूद फंक्शनल नहीं था। जबकि कई वाहनों में स्पीड गवर्नर नहीं लगे थे। ऐसे वाहन चालकों से जुर्माना लिया गया एवं सख्त निर्देश दिया गया कि अविलंब स्पीड गवर्नर लगाएं। उन्होंने बताया कि यह अभियान जिलों में आगे भी जारी रहेगा। जिलों में यह अभियान डीटीओ, एमवीआई और ईएसआई द्वारा चलाया गया।

जिंदगी पीछे और मौत आगे क्यों?
परिवहन सचिव ने सभी वाहन चालकों से अपील की है कि - 'इतनी तेज गाड़ी क्यों चलाएं की जि़ंदगी पीछे और मौत आगे निकल जायेÓ। सड़क सुरक्षा नियमों को अपनाकर अपने और दूसरे की जिंदगी बचा सकते हैं। वाहन चलाते समय हेलमेट-सीटबेल्ट सिर्फ चालान से बचने के लिए नहीं लगाएं, बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए लगाएं, क्योंकि आपकी जिंदगी आपके परिवार की अमानत है।

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने उठाया मामला
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट, पटना संस्करण के 30 अप्रैल के अंक में स्पीड गवर्नर की अनदेखी को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गई थी। इसे खबर का ही असर कहेंगे कि परिवहन सचिव ने इस मामले पर सर्तकता बरतने का आदेश दिया और सभी जिलों में विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। प्रकाशित खबर में विस्तृत रूप से इस बात का जिक्र किया गया था कि 40 प्रतिशत स्कूली वाहनों में स्पीड गवर्नर नहीं लगे हैं और गाजियाबाद के एक निजी स्कूल के बच्चों वाला हादसा पटना में भी हो सकता है.जानकारी हो कि स्कूली बस भी व्यवसायिक वाहनों की श्रेणी में आते हैं और इसे लेकर पूरे शहर में लापरवाही का आलम है। सिर्फ यही नहीं, क्षमता से अधिक बच्चों के बैठने से भी एक्सीडेंट का खतरा हो सकता है।

Posted By: Inextlive